अनुच्छेद:सच्ची मित्रता (मुख्य बिंदु:सच्ची मित्रता का अर्थ,महत्व,सच्चे मित्र की पहचान,सच्चा सलाहकार व मार्गदर्शक)
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मित्रता तो दुनिया का एक ऐसा न मूलधन होता है जिसकी तुलना दुनिया की किसी दूसरी चीज से नहीं की जा सकती है जहां तक के इसकी तुलना सोने चांदी या फिर हीरे मोती से भी नहीं की जा सकती। एक सच्ची मित्रता को दर्शाते हुए बहुत सारे प्रसंग सुनने को मिलते हैं जैसे कृष्ण और सुदामा की दोस्ती अर्जुन और कृष्ण की मित्रता विभीषण और सुग्रीव की राम से सच्ची मित्रता मित्रता के अनोखे उदाहरण पेश करते हैं।
मित्रता की महिमा तो बहुत बड़ी होती है एक सच्चा मित्र सुख और दुख में समान भाव से अपनी मित्रता को निभाता है वह कभी भी इन हालातों में दूर भागने की कोशिश नहीं करता। जो मित्र आपके साथ केवल आपके सुख में आपके साथ होता है उसे आप सच्चा मित्र नहीं कह सकते, सच्चा मित्र तो वह होता है जो जीवन की कड़ी धूप में शीतल छांव की तरह हमेशा आपके साथ खड़ा हो। वह जरूरत पड़ने पर अपनी मित्रता का सही मार्गदर्शन करने की भरपूर कोशिश करता है वह आपको मुश्किलों से बाहर निकालने का यत्न करता है।
Answer:
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Explanation:
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