Hindi, asked by kahah, 20 days ago

अनुच्छेद- दूरदर्शन in about 100-120 words

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Answered by itxhorror
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प्रस्तावना:

मनोरंजन के ऐसे आधुनिक साधन बन चुके है जिनके द्वारा घर बैठ कर ही अपना भरपूर मनोरंजन किया जा सकता है । उनमे दूरदर्शन एक महत्वपूर्ण साधन है । दूरदर्शन से आज मानव दुक्तिया भर के विविध कार्यक्रमों का दृश्यावलोकन कर सकता है ।

दूरदर्शन आधुनिक युग का एक चमत्कारिक आविष्कार है । यह दिन-प्रतिदिन विश्व भर में घटित घटनाओ का दर्पण है । ज्ञानवर्धन का सार्थक माध्यम है । दर्शक को सचित्र प्रत्यक्ष शिक्षा देने वाला शिक्षक है ।

तात्पर्य और स्वरूप:

दूरदर्शन शब्द का अर्थ है-दूर के दृश्यो व वस्तुओ का प्रत्यक्ष दर्शन या दृष्ट होना । दूरदर्शन अंग्रेजी (Television) शब्द का हिन्दी पर्याय है । टेलीविजन दो शब्दो के मेल से बना है- Tele और Vision टेली शब्द का अर्थ है दूर, विजन शब्द का अर्थ है वृष्टि या देखना अर्थात् दूर की वस्तु को देख लेना ही टेलीविजन है ।

आविष्कार और विकास:

दूरदर्शन बेतार का एक विकसित व परिष्कृत रूप है । इटली निवासी मार्कोनी द्वारा बेतार (रेडियो) का आविष्कार करने के बाद वैज्ञानिको की चाह इस ओर गयी । दूरदर्शन का सर्वप्रथम आविष्कार स्काटलैण्ड के एक महान् वैज्ञानिक बेयर्ड ने किया । इस महान् आविष्कारक ने सन् 1926 में प्रथम बार अन्ध महासागर के एक ओर के दृश्य को दूसरी ओर भेज कर अपार हर्ष का अनुभव किया ।

तदनन्तर अन्य वैज्ञानिको की दृष्टि भी इस ओर गयी जिससे इसको अनेक परिष्कार के साथ नवीनतम तकनीकी प्रदान की गयी । सन् 1936 में बी॰बी॰सी॰ लन्दन ने दूरदर्शन विभाग से प्रथम बार दूरदर्शन का प्रसारण किया । उसके बाद सारे विश्व में इसकी तकनीकी फैल गयी । आज हर देश में दूरदर्शन का प्रचुर प्रसार है ।

दूरदर्शन की उपयोगिता मनोरंजन के रूप में:

आधुनिक युग में दूरदर्शन मनोरंजन का सबसे लोकप्रिय साधन बन चुका है । इसलिए आज दूरदर्शन का प्रचार व प्रसार द्रुतगति से हो रहा है । दूरदर्शन द्वारा समय-समय पर अत्यन्त मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है । हमारे देश में सप्ताह में दो-तीन दिन फिल्मो का प्रसारण होता है । विविध केन्द्रों से समय-समय पर फिल्मों पर आधारित गीत, चित्रहार व चित्रमाला के रूप में दिखाए जाते हैं ।

देश में होने वाले प्रमुख कवि सम्मेलनों व मुशायरी को आज घर बैठे देखकर आनन्द लिया जा सकता है । लोक-रुचि के अनुरूप सगीत व नृत्य के कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये जाते है । समय-समय पर भारत के विभिन्न लोक-गीत व लोक-मूल्यों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है । हर रोज शाम को मनोरंजक धारावाहिक दिखाकर जनता का आहाद बढाया जाता है ।

आधुनिक युग में खेल की ओर मानव की रुचि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । खेल तो मनोरंजन का प्रमुख साधन है । विश्व के किसी भाग में खेले जाने वाली प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओ को देखने का घर बैठे आनन्द लिया जा सकता है । हमारे देश में होने वाले प्रत्येक राष्ट्रीय रवेलों का दूरदर्शन से सीधा प्रसारण किया जाता है, जनता उसका पूरा लाभ उठाती है ।

शिक्षा प्रचार का साधन:

दूरदर्शन के द्वारा शिक्षा का प्रचार व प्रसार भी होता है । यह बच्चों का सार्थक शिक्षक है । इसके माध्यम से बच्चों को पाठ्‌यक्रम-सम्बन्धी ज्ञान, विद्वान व विशेषज्ञ शिक्षको द्वारा दिया जाता है । आजकल प्रत्येक विषय के लिये दूरदर्शन-पादयक्रम निर्धारित है । इसके अतिरिक्त शिक्षा के सहगामी कार्यक्रम भी बच्चे दूरदर्शन के माध्यम से जान लेते है ।

दूरदर्शन से हानियाँ:

जहाँ एक ओर दूरदर्शन हर प्रकार के ज्ञानवर्धन में सहायक है, मानव के मनोरजन का सशक्त माध्यम है, वही दूसरी ओर दूरदर्शन से काफी हानियाँ भी हैं । आजकल दूरदर्शन का इतना अधिक प्रचार हो गया है कि गरीब व्यक्ति भी कर्ज लेकर, अपने आर्थिक सन्तुलन को बिगाड़ कर दूरदर्शन खरीदता है जिससे कर्ज उतारने में उसको सालो लग जाते है ।

दूरदर्शन के कार्यक्रमों ने घर में बच्चो की पढाई को अत्याधिक प्रभावित किया है । विद्यालय से दिया गया गृह-कार्य व अध्ययन छोड़कर वे दूरदर्शन के प्रत्येक कार्यक्रमों को देखने में संलग्न हो जाते हैं, फलत: वे परीक्षा में या तो नकल करते हैं या फेल हो जाते है । लगातार दूरदर्शन के कार्यक्रम नजदीक बैठकर देखने से आँख, कान व मस्तिष्क को क्षति पहुँचती है । इसीलिए आजकल अधिकाँश बच्चे चश्मे के बिना पढ़-लिख नही सकते है ।

उपसंहार:

दूरदर्शन ने आज व्यवहारिक जीवन को इतना प्रभावित कर दिया है कि उसके बिना मानव अपने को अपूर्ण समझता है । यद्यपि दूरदर्शन मे गुण व दोष दोनो विद्यमान हैं, किन्तु हमें गुणग्राही होना चाहिये । छात्रों को केवल शिक्षाप्रद कार्यक्रमो का ही अवलोकन करना चाहिये । परीक्षा के दिनो में दूरदर्शन के किसी कार्यक्रम को नहीं देखना चाहिये ।

खाली समय में दूरदर्शन के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम अवश्य देखने चाहिए । दूरदर्शन को अधिक निकट बैठ कर नही देखना चाहिये क्योकि उसका आँखों पर दुष्प्रभाव पड़ता है । सरकार को चाहिये कि वह दूरदर्शन में अश्लील प्रदर्शन पर पूर्ण रोक लगाये । दूरदर्शन पर अधिकतर नैतिक शिक्षा प्रदान करने वाली फिल्में दिखानी चाहिएं ।

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