Hindi, asked by anshika3026, 9 months ago

अनुच्छेद दशहरा in hindi ❤❤❤

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Answers

Answered by helpmehh
7

Explanation:

सारे देश में यह त्यौहार बडे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है । दस दिन तक रामायण की कथा एक ड्रामे के रूप में खेली जाती है, जिसे रामलीला कहते हैं । इसमें श्रीराम के समरस जीवन की झाकियां प्रस्तुत की जाती हैं । सभी बड़े-छोटे शहरों और कस्बों में बडे और खुले मैदान में यह लीला खेली जाती है ।

आमतौर पर यह मैदान रामलीला मैदान कहलाता है । बडे शहरों में कई रामलीलाये होती हैं । किसी मंदिर से हर दिन एक जुलूस निकाला जाता है । यह शहर के सभी प्रसिद्ध मार्गों से होकर रामलीला मैदान पर समाप्त होता है ।

रामलीला में रामायण के दृश्य क्तेग बडी श्रद्धा और चाव से देखते है । इनमें राम के जन्म, विवाह और वन जाने के दृश्य देखे जाते हैं । दशहरे के दिन राम-रावण के बीच घमासान युद्ध दिखाया जाता है और अन्त में श्रीराम रावण का वध कर देते हैं ।

मैदान में रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के बड़े-बड़े पुतले बनाये जाते हैं । इनमें तरह-तरह की आतिशबाजी लगी होती है । रामलीला में रावण त्हे मरते ही इन पुतला में आग लगा दी जाती है । ज्यों-ज्यों आग की लराटें ऊंची उठती हैं, पुतलों के आतिशबाजी के गौले छूटने लगते है ।

दर्शक ‘श्रीरामचन्द्र की’ जय के नारों से आकाश गुंजा देते हैं । पुतलों को जलाने के बाद अनेक स्थानों पर रंगीन आतिशबग्जी छोड़ी जाती है । इसके बाद राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान को एक रथ में बैठाकर पुन: जुलूस नगर की मुख्य सडकों से निकाला जाता है और पुन: मन्दिर में पहुचकर समाप्त हो जाता है ।

Answered by ItzMagician
31

Answer:

Ꮧɴsᴡᴇʀ :

सारे देश में यह त्यौहार बडे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है । दस दिन तक रामायण की कथा एक ड्रामे के रूप में खेली जाती है, जिसे रामलीला कहते हैं । इसमें श्रीराम के समरस जीवन की झाकियां प्रस्तुत की जाती हैं । सभी बड़े-छोटे शहरों और कस्बों में बडे और खुले मैदान में यह लीला खेली जाती है ।

आमतौर पर यह मैदान रामलीला मैदान कहलाता है । बडे शहरों में कई रामलीलाये होती हैं । किसी मंदिर से हर दिन एक जुलूस निकाला जाता है । यह शहर के सभी प्रसिद्ध मार्गों से होकर रामलीला मैदान पर समाप्त होता है ।

रामलीला में रामायण के दृश्य क्तेग बडी श्रद्धा और चाव से देखते है । इनमें राम के जन्म, विवाह और वन जाने के दृश्य देखे जाते हैं । दशहरे के दिन राम-रावण के बीच घमासान युद्ध दिखाया जाता है और अन्त में श्रीराम रावण का वध कर देते हैं ।

मैदान में रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के बड़े-बड़े पुतले बनाये जाते हैं । इनमें तरह-तरह की आतिशबाजी लगी होती है । रामलीला में रावण त्हे मरते ही इन पुतला में आग लगा दी जाती है । ज्यों-ज्यों आग की लराटें ऊंची उठती हैं, पुतलों के आतिशबाजी के गौले छूटने लगते है ।

दर्शक ‘श्रीरामचन्द्र की’ जय के नारों से आकाश गुंजा देते हैं । पुतलों को जलाने के बाद अनेक स्थानों पर रंगीन आतिशबग्जी छोड़ी जाती है । इसके बाद राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान को एक रथ में बैठाकर पुन: जुलूस नगर की मुख्य सडकों से निकाला जाता है और पुन: मन्दिर में पहुचकर समाप्त हो जाता है ।

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