Hindi, asked by ishu5666, 7 months ago

अनुच्छेद विषय विज्ञान के बढते कदम​

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Answered by indusheel
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Answer:

आज जल, थल तथा नभ में विज्ञान की पताका लहरा रही है। जीवन तथा विज्ञान एक दूसरे के पर्याय बन गए हैं। विज्ञान से मानव को असीमित शक्ति मिली है आज वह पक्षी की भांति वीहार कर सकता है। पर्वर्तों को लांघ सकता है तथा सागर की छाती को चीर कर जलयान द्वारा अपने स्थान पर इठला सकता है। प्रकति को उसने अपनी दासी बना लिया है। दूरियां सिमट कर रह गई है संपूर्ण विश्व एक परिवार के सदृश्य हो गया है काल की छाती पर करारा घुसा मार कर विज्ञान मंद मंद गति से मुस्कुरा रहा है।विज्ञान की व्यापकता सभी क्षेत्र में हुई है। विश्व के अलग-अलग देशों में आगे बढ़ने की परस्पर होढ़ लगी है।यही कारण है कि हमारे इच्छाएं तथा आराम की सीमाएं भी बढ़ती जा रही है। भोजन, आवास, यातायात, चिकित्सा, मनोरंजन, कृषि, युद्ध, उधोग, आदि सभी क्षेत्र विज्ञान से प्रभावित हैं आधुनिक युग में विज्ञान के बिना मानव के अस्तित्व की कल्पना भी असंभव प्रतीत होती है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य भौतिक शसक्तियो पर विजय प्राप्त कर रहा है और प्रकृति के गुढ़ रहस्यो को को प्रकाश में ला रहा है। आकाश में उड़ते विमान,चंद्रयान उसका यशगान करते है। समुद्र की छाती पर तीव्र गति से तैरते हुए जलयान ओर पनडुब्बियां उसकी कीर्ति- पताका फहराते प्रतीत होते हैं ।

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Answered by RIYAAHLAWAT
1

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➡️विज्ञान " का शाब्दिक अर्थ विशेष तरह के ञान से होता है । विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है वि+ज्ञान । आज हम जिस युग मे जीवन जी रहे हैं वह भी विज्ञान का ही युग है । जीवन के प्रत्येक जगह मेे विज्ञान के आविष्कारो को देखाा जाा सकता है । इन आविष्कारो ने मानव जीवन को अत्यंत सुखमय बना दिया है । जीवन का ऐसा कोई भी जगह शेष नहीं है जहाँ पर विज्ञान की पहुँच न हो। बिना विज्ञान के आज मनुष्य का जीवन अधूरा है । भोजन बनाने के उपकरण, भवन बनाने के उपकरण आदि सभी चीचे विज्ञान की ही देन है । आज मनुष्य अपने घर में बैठे-बैठे संपूर्ण विश्व की जानकारी ले सकते है । विज्ञान ने ही मनुष्य को अंधकार से छुटकारा दिलाया है । चिकित्सा के विश्व में असाध्य से असाध्य रोग को भी मसीनो के कारण ठीक हो जाते है । जहाँ मनुष्य को दूर-दूर तक पैदल जाना पड़ता था वह अब मनुष्य कुछ मिनटो मे पहुँच जाता है । समय जैसे -जैसे आगे बढ रहा है धीरे -धीरे यही विज्ञान अभिशाप बनता जा रहा है । आगे बढ़ने कि होड़ में मनुष्य ने ऐसे-ऐसे आविष्कार किए है जो मनुष्य के लिए हितकार नहीं है । परमाणु बम, बड़ी -बड़ी तोपे विज्ञान की ही देना है । इन आविष्कारो पर रोका नहीं लगी तो विज्ञान अभिशाप के कंलक से नहीं बचा पाएगा ।

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