Hindi, asked by ritiksharma47020, 19 days ago

अनुच्छेद- विद्यार्थियों में बढ़ता कोध : कारण और निवारण​

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Answered by bharati028485
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क्रोध या गुस्सा मानव मन की एक भावना हैं. जिन्हें अक्सर अच्छा नहीं माना जाता हैं. जब व्यक्ति क्रोधित होता है तो उस दौरान कई शारीरिक लक्षण प्रतीत होते है यथा ह्रदय गति का बढ़ना, रक्त चाप में वृद्धि, अमूमन क्रोध का जनक भय माना जाता हैं. जब मानव भय पर नियंत्रण करने की कोशिश करता हैं तो वह क्रोध के रूप में प्रकट होता हैं.

क्रोध को कायरता की निशानी भी कहा जाता है, इसे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक भी माना गया हैं. जिन्हें विभिन्न परिस्थितियों में धैर्य एवं साहस की कमी होती है वे क्रोधित होते हैं. यह संताप विकलता की दशा हैं.

एक क्रुद्ध व्यक्ति के सोचने समझने और विचारने की शक्ति शून्य हो जाती हैं. समाज और दोस्तों के मध्य उसका सम्मान गिर जाता हैं. क्रोध करने का सामान्य सा अर्थ है समाज या परिवार की अवमानना. उनके निर्देश को स्वीकार नहीं करना होता हैं.

जिन्हें तिरस्कृत एवं हेय माना जाता हैं वे क्रोध को अपना हथियार बना लेते हैं. अपने वजूद को खतरे में पाकर वह समाज तथा अन्य लोगों को यह दिखाना चाहता हैं कि अभी भी उसका अस्तित्व हैं. क्रोध का एक अन्य कारण किसी से अथाह लगाव रखना भी होता हैं.

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