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वायु प्रदूषण
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वायु प्रदूषण वर्तमान समय पूरे विश्व में विशेषरुप से औद्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण में धूंध, धुआं, विविक्त, ठोस पदार्थों आदि का रिसाव शहर के वातावरण को संकेन्द्रित करता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरनाक बीमारी हो जाती हैं। लोग दैनिक आधार पर बहुत सा गंदा कचरा फैलाते हैं, विशेषरुप से बड़े शहरों में जो बहुत बड़े स्तर पर शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान देता है। मोटर साइकिल (बाइक), औद्योगिक प्रक्रिया, कचरे को जलाना आदि के द्वारा निकलने वाला धुआं और प्रदूषित गैसें वायु प्रदूषण में में अपना योगदान देती हैं। कुछ प्राकृतिक प्रदूषण भी जैसे पराग-कण, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि वायु प्रदूषण के स्त्रोत है।
वायु प्रदूषण के अन्य स्त्रोतों में लैंडफिल में कचरे का अपघटन और ठोस पदार्थों के निराकरण की प्रक्रिया से मीथेन गैस (जो स्वास्थ्य के लिये बहुत हानिकारक होता है) का निकलना है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगिकीकरण, स्वचलित वाहनों के प्रयोग में वृद्धि, हवाई जहाज आदि ने इस मुद्दे को गंभीर पर्यावरण का मुद्दा बना दिया है।
जिस हवा को हम सांस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वो पूरी तरह से प्रदूषित है जो हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्त परिसंचरण के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषित वायु पेड़-पौधों, पशुओं और मनुष्य के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है। यदि पर्यावरण को सुरक्षित करने वाली नीतियों का गंभीरता और कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो वायु प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर आने वाले दशकों में 1 मिलियन टन वार्षिक के आधार पर बढ़ सकता है।