अनूचानमानी कः अभवत् ?
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Anuchanamni sadachara abvat
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अनूचानमानी श्वेतकेतु: अभवत् |
श्वेतकेतु: आरुणेय पुत्र: आसीत् | श्वेतकेतु: द्वादशवर्षम् उपेत्य चतुरविंशति वर्ष: वेदानधीत्य आगत: |
आरुणि ने एक बार श्वेतकेतु से कहा "हे श्वेतकेतु ! तुम बृहमचर्य का पालन करो क्योंकि हमारे कुल में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं हुआ, जो बृहमबंधु के समान न लगता हो |"
"हे श्वेतकेतु तुम जो इस तरह से अमनस्वी, पण्डित्यमना और अभिमान से युक्त हो, तुमने कौनसी विशेषता पाई है? क्या तुम जानते हो की कौनसा ऐसा पदार्थ है जिसके समझ लेने पर अश्रुत पदार्थ का ज्ञान हो जाता है |"
श्वेतकेतु अपने पिता आरुणि से कहते हैं "आप ही मेरे पूजनीय गुरु हैं, आपने मुझे सत्य का बोध कराया"
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