Hindi, asked by sweta4krish, 5 months ago

अनुचित राष्ट्रीय त्योहार​

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Answered by rajnishbhardwaj32
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कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। यह वाक्य बालमन पर देश की एकता और अखंडता के बीज बोने के लिए बचपन से रटाया जाता रहा है। फिर इसी देश के उसी पहले छोर पर इसी देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं मिलती। आइए इसे कुछ यूँ जानते हैं:

देश- भारत, राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा, राज्य-जम्मू कश्मीर। गर्मियों की राजधानी-श्रीनगर। श्रीनगर का लाल चौक। राष्ट्रीय पर्व-गणतंत्र दिवस। इस गणतंत्र दिवस पर 'गण' की इच्छा है कि वह अपना 'तं‍त्र' सिद्ध करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में तिरंगा फहराए और उसी में एक नाम श्रीनगर के लाल चौक का भी है।

अचानक एक बवाल उठता है। एक ऐसा बवाल कि देश के प्रधानमंत्री को भी कहना पड़ता है कि यह नहीं हो सकता क्योंकि शांति को खतरा होगा। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री का बयान आता है कि अगर कुछ गड़बड़ होगी तो जिम्मेदार वह नहीं होंगे और बयान आता है जम्मू एवं कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक का कि देखते हैं कौन फहराता है तिरंगा अगर ऐसा हुआ तो कश्मीर फिर सुलग उठेगा।

स्वतंत्र भारत की यह कैसी 'स्वतंत्रता' है कि हम अपने देशप्रेम की अभिव्यक्ति के लिए भी अलगाववादियों और आतंकवादियों की मंशा पर निर्भर हैं। बात महज इतनी है कि देश के ही कुछ लोग कुछ खास स्थानों पर इस राष्ट्रीय दिवस पर तिरंगा फहराना चाहते हैं। और दुखद आश्चर्य कि उन्हें अपने ही देश में ऐसा करने की अनुमति लेनी पड़ रही है और उससे भी दुखद कि उन्हें यह अनुमति मिल नहीं रही है।

यह बुलंद भारत की कैसी कमजोर तस्वीर है कि अपने 'राष्ट्रीय पर्व' पर 'राष्ट्र' पर 'गर्व' करने के लिए भ‍ी हमें डरते हुए पहले विरोधी तत्वों की चिंता करनी पड़ रही है। सारी परिस्थितियाँ बार-बार सोचने के लिए बाध्य करती है कि देश का राष्ट्रीय ध्वज देश में ही फहराना राष्ट्रीय चिंता का विषय कैसे हो सकता है।

एक अरुंधति जब राष्ट्रीय ज्ञान के अभाव में कहती है कि जम्मू भारत का हिस्सा नहीं तो इसी देश का लेखक दो खेमों में बँटा नजर आता है और तो और कोई देशव्यापी हंगामा भी नहीं होता और इसी देश में राष्ट्रीय दिवस पर तिरंगा फहराने की इच्छा जाहिर करने पर चारों तरफ ऐसा हंगामा मचता है मानो किसी ने राष्ट्र के विरुद्ध अपराध कर दिया हो।

लाल चौक अचानक संवेदनशील हो उठता ह ै? वही लाल चौक जिस पर गाहे-बेगाहे पाकिस्तान का झंडा फहराने पर सब एक बेशर्म खामोशी ओढ़ लेते हैं। तब कोई आवाज नहीं उठती कोई चिंगारी नहीं भड़कती? इसके विपरीत होना तो यह चाहिए कि अगर ‍किसी दूसरे देश का झंडा इस देश के किसी भी कोने में फहराया जाता है तो उसके विरोध में स्वर बुलंद हो।

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