अनुचेद लेखन-जल ही जिवन है
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जल ही जीवन है” जल के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है… ... हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमुल्य संसाधन है जल, या यूं कहें कि यही सभी सजीवो के जीने का आधार है जल।
Explanation:
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जल ही जीवन है (150 शब्द)
जल पृथ्वी पर निवास करने वाले समस्त जीवो को जीवित रखने वाले प्रमुख तत्वों में से एक है। क्योंकि धरती पर रहने वाले सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षियों कीट- पतंगे, पेड़-पौधे सहित मानव जीवन के लिए जल अमृत के समान होता है। जल के बिना सजीव जगत की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
परंतु आज के लोग इसकी महत्ता को समझते हुए भी इसे दूषित करते जा रहे हैं। जिस कारण आज हमारे देश के लगभग आधे से अधिक क्षेत्रो में लोगो को जल संकट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मानवो की अवेहलना से पनपी इस समस्या का सामना न सिर्फ मानव जाति को बल्कि आज अन्य दूसरी सजीव प्राणियों को भी करना पड़ रहा है।
आज लगभग सभी नदियां, तालाब, पोखर, दूषित हो गई है। जिस कारण पीने योग्य पानी कम हो गई है। परंतु फिर भी लोग इसे दूषित करने से बाज नहीं आ रहे हैं और ऐसी स्थिति बनी रही तो एक दिन ऐसा आएगा कि, जल संकट संपूर्ण पृथ्वी को तबाह कर के रख देगी। अतः आवश्यकता है कि, समय रहते हम सभी लोगों को जल को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।
(250 शब्द)
जल उन प्रमुख तत्वों में से एक है। जो पृथ्वी पर रहने वाली सभी सजीव प्राणियों को जीवन-प्रदान करती है। क्योंकि जल के बिना पृथ्वी पर सजीव जगत की कल्पना करना नामुमकिन साबित होती है। जल के बिना न सिर्फ सजीव जगत की बल्कि इस हरी-भरी धरती की भी कल्पना नहीं की जा सकती है।
क्योंकि ये पेड़-पौधे, नदी-तालाब, झील-सरोवर के कारण ही तो धरती हरी-भरी और सुंदर दिखती हैं। और ये सभी तब रहेंगे जब इन्हें जल पर्याप्त मात्रा में मिलती रहेगी। इसलिए तो जल के बिना कुछ भी संभव नहीं है। जल के महत्व का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि, समस्त मानव शरीर में करीब 70% हिस्से जल ही मौजूद रहती है।
इसलिए तो जल के बिना मनुष्य का जीवित रहना असंभव होता है। जिस प्रकार हमे जीवित रहने के लिए श्वास लेना जरूरी है। ठीक उसी प्रकार जल लेना भी आवश्यक है। इस प्रकार हम कर सकते हैं कि, पृथ्वी के समस्त सजीव प्राणियो के लिए जल की महत्ता अमृत से कम नहीं है। परंतु आधुनिकता के इस दौड़ में लोग आज बेहिसाब जल को प्रदूषित करते जा रहे हैं। जिसका परिणाम आज हम सभी के सामने खड़ी है।
जो है जल संकट हमारे ख्याल से आज जल प्रदूषण (Water Pollution) का सबसे बड़ा कारण है। कल- कारखाने, क्योंकि इस कल-कारखाने से निकलने वाली सभी दूषित पदार्थ बड़ी-बड़ी नदियों में छोड़ दिए जाते हैं। जिससे नदियों की जल विषैली और दूषित हो जाती है। आज लोग यह नहीं समझते कि, जिस प्रकार धरती पर पाई जाने वाली अन्य संसाधन हमारे लिए सीमित मात्रा में उपलब्ध है।
उसी प्रकार जल भी हमारी पृथ्वी पर सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। परंतु लोग इस बात को समझ नहीं रहे हैं और जल को प्रदूषित करने की स्थिति अगर ऐसी ही बनी रही तो शायद कुछ वर्षों के आने वाली पीढ़ी के लोगों को पीने योग्य जल का दर्शन करना भी मुश्किल सा हो जाएगा आज प्रदूषित जल पीने से ना जाने कितनी बीमारियां पनप रही है इन बातों से स्पष्ट हो जाता है कि अगर जीवित रहना है तो जल को दूषित होने से बचाना होगा।
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