Hindi, asked by kalpna9692, 4 months ago

अनुछेद - पराहित साविस धर्म नही भाई paragraph writing ​

Answers

Answered by goyalhimesh11213
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Explanation:

प्रस्तावना : पशुता के बाद जब हमने मनुष्यता के क्षेत्र में पदार्पण किया, तो सर्वप्रथम सभी जाति और देश के मनीषियों ने मनुष्यता की रक्षा लिए और इसे अधिक से अधिक सुन्दर बनाने के लिए अनेक प्रकार के गुणों तथा अनेक प्रकार के सिद्धान्तों का निरूपण किया। हम किस प्रकार पशुता के ऊपर उठकर मानवता के उच्च धरातल पर पहुँच जाएँ। कैसे जीवन में सुख और शान्ति पा सकें। इसके लिए अनेक प्रकार के विधि-विधान बनाए गए। धर्मों की स्थापना हुई और धर्म-ग्रन्थों की रचनाएँ हुईं। सदाचार तथा नैतिकता सम्बन्धी अनेक नियमों और विधियों का निर्देशन किया गया। इन्हें मानव धर्म की संज्ञा दी गई। सत्य-भाषण. सच्चरित्रता और परोपकार आदि को सर्व धर्म-सम्प्रदायों में समान महत्त्व दिया गया। इन्हीं सदाचरणों में से परहित भी एक है। दूसरे के हित-साधन में सहायक होना ही ‘परहित’ कहलाता है। निःसन्देह परहित जैसा संसार में कोई दूसरा धर्म नहीं। यही सब धर्मों का मूल प्राण है।

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