Chemistry, asked by Abidkatalur5966, 9 months ago

अनाज वाली फसलों में नत्रजन स्थिरीकरण करने वाले जैव उर्वरक का नाम लिखिए तथा इसकी प्रयोग की विधि का वर्णन कीजिये।

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Answered by poonianaresh78p3767p
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Explanation:

कृषि उत्पादन में जैव उर्वरकों की महत्ता एवं उपयोग

पिछले दशकों में आत्मनिर्भरता की स्थिति तक कृषि की वृद्धि में उन्नत किस्म के बीजों, उर्वरकों, सिंचाई जल एवं पौध संरक्षण का उल्लेखनीय योगदान है। वर्तमान ऊर्जा संकट और निरंतर क्षीणता की और अग्रसर ऊर्जा स्रोतों के कारण रासायनिक उर्वरकों की कीमतें आसमान को छूने लगी हैं। फसलों द्वारा भूमि से लिए जाने वाले प्राथमिक मुख्य पोषक तत्वों-नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश में से नत्रजन का सर्वाधिक अवशोषण होता है क्योंकि इस तत्व की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं भूमि में डाले गये नत्रजन का 40-50 प्रतिशत ही फसल उपयोग कर पाते हैं और शेष 55-60 प्रतिशत भाग या तो पानी के साथ बह जाता है या वायु मण्डल में डिनाइट्रीफिकेशन से मिल जाता है या जमीन में ही अस्थायी बन्धक हो जाते हैं। अन्य पोषक तत्वों की तुलना में भूमि में उपलब्ध नत्रजन की मात्रा सबसे न्यून स्तर की होती है। यदि प्रति किलो पोषक तत्व की कीमत की ओर ध्यान दें तो नत्रजन ही सबसे अधिक कीमती है। अतः नत्रजनधारी उर्वरक के एक-एक दाने का उपयोग मितव्ययता एवं सावधानी से करना आज की अनिवार्य आवश्यकता हो गई है।

भारत जैसे विकासशील देश में नत्रजन की इस बड़ी मात्रा की आपूर्ति केवल रासायनिक उर्वरकों से कर पाना छोटे और मध्यम श्रेणी के किसानों की क्षमता से परे है अतः फसलों की नत्रजन आवश्यकता की पूर्ति के लिए पूर्णरूप से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर रहना तर्क संगत नहीं है। वर्तमान परिस्थितियों में नत्रजनधारी उर्वरकों के साथ-साथ नत्रजन के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि मृदा की उर्वरा शक्ति को टिकाऊ अक्षुण रखने के लिए भी आवश्यक है। ऐसी स्थिति में जैव उर्वरकों एवं सान्द्रिय पदार्थो के एकीकृत उपयोग की नत्रजन उर्वरक के रूप में करने की अनुशंसा की गई है। भूमि में सूक्ष्म जीवों की सम्मिलित सक्रियता के लिए निम्न दशाएं अनुकूल होती हैं।

जीवांश पदार्थो की उपस्थितिनमीवायु संचारनिरन्तर उदासीन के आसपास पी.एच मान यह चारों आवश्यकताओं एक मात्र कम्पोस्ट से पूरी की जा सकती है।

जैव उर्वरक जीवाणु खाद क्या है?

सभी प्रकार के पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए मुख्यतः 17 तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमें नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश अति आवश्यक तथा प्रमुख पोषण तत्व है। यह पौधे में तीन प्रकार से उपलब्ध होती है।

रासायनिक खाद द्वारागोबर की खाद/ कम्पोस्ट द्वाराछिडकाव का उपयुक्त समय मघ्य अगस्त से मघ्य सित्मबर हैानाइट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणुओं द्वारा

भूमि मात्र एक भौतिक माध्यम नहीं है बल्कि यह एक जीवित क्रियाशील तन्त्र है। इसमें सूक्ष्मजीवी वैक्टिरिया, फफूंदी, शैवाल, प्रोटोजोआ आदि पाये जाते हैं इनमें से कुछ सूक्ष्मजीव वायुमण्डल में स्वतंत्र रूप से पायी जाने वाली 78 प्रतिशत नत्रजन जिन्हें पौधे सीधे उपयोग करने में अक्षम होते हैं, को अमोनिया एवं नाइट्रेट तथा फास्फोरस को उपलब्ध अवस्था में बदल देते हैं। जैव उर्वरक इन्हीं सूक्ष्म जीवों का पीट, लिग्नाइट या कोयले के चूर्ण में मिश्रण है जो पौधों को नत्रजन एवं फास्फोरस आदि की उपलब्धता बढ़ाता है। जैव उर्वरकह पौधों के लिए वृद्धि कारक पदार्थ भी देते हैं तथा पर्यावरण को स्वच्छ रखने में सहायक हैं। भूमि, जल एवं वायु को प्रदूषित किये बिना कृषि उत्पादन स्तर में स्थायित्व लाते हैं इन्हें जैव कल्चर, जीवाणु खाद, टीका अथवा इनाकुलेन्ट भी कहते हैं।

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