Hindi, asked by lilyhaokip9695, 1 year ago

अनेकता में एकता भारत की विशेषता पर निबंध

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Answered by rishav7284
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अनेकता में एकता की झलक विश्व में सिर्फ हमारे देश में ही देखने को मिलती है यह हमारे लिए गर्व की बात है. हमारे देश कई वर्षों तक विदेशी ताकतों का गुलाम रहा है फिर भी यहां के लोग आज भी जिंदा दिल है. यह बात दर्शाती है कि चाहे हमारे ऊपर कितने भी जुल्म हो, कितनी भी कठिनाई आए हम पीछे हटने वालों में से नहीं है.

हमारे देश में अनेकता में एकता उसी तरह जैसे धरती पर विभिन्न प्रकार के फूल है सभी फूलों की खुशबू अलग तरह की है लेकिन सभी फूलों का काम वातावरण को सुगंधित करना है इसी प्रकार हमारे देश में अनेकों प्रकार की भिन्नता है लेकिन सभी का लक्ष्य एक ही है कि हम एकजुटता से रहें और पूरी दुनिया को इतनी विभिन्नता होते हुए भी अपनी एकता का परिचय दें.

हमारे देश के लोगों का एक-दूसरे के ऊपर आज भी विश्वास कायम है जो कि पश्चिमी सभ्यता में कम ही देखने को मिलता है. हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्मों हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई बड़े ही प्रेम भाव से रहते है. हर धर्म का व्यक्ति दूसरे धर्म को उतनी ही इज्जत और आशा से देखता है जितने कि अपने धर्म को देखता है इसीलिए शायद हमारे देश में आज भी मानवता जिंदा है.

हमारे भारत देश में विभिन्न प्रकार की भाषाएं हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, मराठी, पंजाबी, बंगाली और भी कई क्षेत्रीय भाषाएं बोली जाती हैं यहां पर हर दूसरे राज्य में एक नई भाषा बोली जाती है कहीं-कहीं पर तो एक ही राज्य में कई प्रकार की भाषाएं बोली जाती है यही बात हमारी एकता को दर्शाता है.

हमारे यहां पर प्रत्येक राज्य में हर दिन कोई ना कोई त्योहार जरूर होता है जिसको सभी धर्म और जातियों के लोग खूब धूमधाम से मनाते है. हमारे देश के प्रत्येक प्रांत में लोग अलग-अलग वेशभूषा पहनते है जैसे पंजाब में पगड़ी, राजस्थान में रुमाल बांधते हैं कहीं पर धोती पहनी जाती है तो कहीं पर सूट पहना जाता है फिर भी लोगों में एक दूसरे के प्रति ईष्या का भाव उत्पन्न नहीं होता है.

हमारा देश कई जातियों ब्राह्मण, क्षत्रिय, जाट और भी कई अन्य जातियों में बटा हुआ है फिर भी लोगों में कोई विरोधाभास नहीं है. सभी लोग एक दूसरे को सम्मान की नजरों से देखते है. हमारे देश का कानून भी सभी लोगों को बराबर अधिकार प्रदान करता है चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो.

हमारे देश में प्रत्येक साल कई मेले भरते है कभी उर्स मेला लगता है तो कभी कुंभ का मेला यह दोनों मेले अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोगों के है लेकिन हमारा पूरा देश इन मेलों में शामिल होता है यह बात दर्शाती है कि हम सभी के मेलों और धर्म का आदर करते है.

हमारे भारत देश में सभी प्रांतों में लोग अलग प्रकार के खान-पान करते है और उनका रहन-सहन भी अलग होता है. हमारे खान-पान और रहन-सहन में इतना फर्क होने के बावजूद भी हम मिल जुल कर रहते है. और एक दूसरे के खान पान और रहन सहन की तारीफ करके उनको सम्मान भी देते है.

हमारा देश अनेक राज्यों में बटा हुआ जैसे राजस्थान, गुजरात, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु उड़ीसा, कश्मीर, बिहार आदि है इन सभी राज्यों की संस्कृति और माहौल एक दूसरे से बिल्कुल अलग है फिर भी हम एक दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं क्योंकि हमारे देश के लोग प्रेम-भाव की डोर से बंधे हुए है.

अंग्रेजो ने हमारे देश को रंग के आधार पर भी बांटने की कोशिश की लेकिन हम कभी भी रंग के आधार पर नहीं बंटे क्योंकि हमारे देश के लोगों को अच्छे से पता है कि इंद्रधनुष के सात रंग एक साथ देखने पर ही अच्छे लगते है उसी प्रकार हमारे देश में सभी लोगों को महत्व है उसके रंग का काले या गोरे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. यह बात दर्शाती है कि हमारी सोच कितनी अच्छी है.

हमारे देश में प्रत्येक इंसान पर प्राकृतिक विविधता भी पाई जाती है कहीं पर अत्यधिक मात्रा में बर्फ गिरती है तो कहीं पर तेज धूप पड़ती है लेकिन फिर भी हमारी प्रकृति में संतुलन बना रहता है प्रकृति हमें हमेशा मिलजुल कर रहने का संदेश देती है.

लेकिन वर्तमान में कुछ लोगों द्वारा जाति भेदभाव की राजनीति की जा रही है और लोगों को एक दूसरे के प्रति भड़काया जा रहा है जिसके कारण हमारे देश में कहीं ना कहीं लोग जाति, रंग और प्राकृतिक साधनों के लिए लड़ते रहते है.

यह हमारे देश के लिए बहुत ही बुरा है कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए पूरे देश का माहौल खराब कर रहे है. हमें इन लोगों को पहचान कर हमारे समाज से बाहर करना होगा नहीं तो ये एक दूषित पर फल की तरह हम सभी फलों को खराब कर देंगे.

हमें यह जानना होगा कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत है हमें दूसरों के भड़काने पर नहीं भडकना चाहिए हमारे बुजुर्ग लोग बड़े ही शांति से और सोच विचार कर काम करते थे लेकिन आजकल बिना सोचे समझे ही लोग भड़क जाते है और देश में हड़ताल और दंगे करने लग जाते है.

हमें फिर से एकजुट होना होगा और हमारे देश की राजनीति में घुसे हुए स्वार्थी भेड़ियो को बाहर निकालकर फेंकना होगा. अगर हमने जल्द ही ऐसा नहीं किया तो यह हमें जाति और धर्म के नाम पर बांट कर अपना स्वार्थ पूरा करेंगे.

और हम जाति और धर्म में उलझ कर रह जाएंगे इसलिए हमें हमारी एकता का परिचय देते हुए सोच समझकर कार्य करना होगा और हमारे देश को प्रगति की राह पर लाना होगा फिर से लोगों को बताना होगा कि हमारे देश में चाहे कितनी भी विभिन्नता क्यों ना हो हम सदा एकजुट और प्रेम पूर्वक रहेंगे

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