'अनोखी घड़ी' का राज पाकर दीपू खुश था, वह राज क्या था ? 'दादी की घड़ी' पाठ के आधार पर बताइये। (:
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¿ 'अनोखी घड़ी' का राज पाकर दीपू खुश था, वह राज क्या था ? 'दादी की घड़ी' पाठ के आधार पर बताइये।
➲ अनोखी घड़ी का राज पाकर दीपू खुश था, क्योंकि अनोखी घड़ी का राज यह था कि हमारे शरीर के अंदर ही एक घड़ी प्राकृतिक घड़ी होती है, जो हमें नियत समय पर जगा देती है। बस हमें उस घड़ी में संदेश रूपी अलार्म को भरने की जरूरत होती है।
दीपू सुबह जल्दी उठना चाहता था, लेकिन वह सुबह जल्दी नहीं उठ पाता था और उसके पास अलार्म घड़ी भी नहीं होती थी। तब उसकी दादी ने सुबह जल्दी उठने के लिए उसे एक उपाय बताया और कहा कि रात को सोते समय तकिए से सुबह जगा देने की प्रार्थना करके सो जाओ। एक दिन पिकनिक जाने के लिए रात को दीपू ने अपने तकिए से सुबह 5 बजे जगा देने की बात कही और सो गया और आश्चर्यजनक रूप से ठीक 5 बजे उसकी आँख अपने आप खुल गई।
दीपू को लगा कि तकिए के अंदर कोई अलार्म घड़ी है, लेकिन दादी ने अनोखी घड़ी का राज बताया कि भला तकिया भी कहीं बोलता है। असली अलार्म घड़ी तो हमारे दिल में होती है। जब हमें आवश्यक रूप से उठना होता है, तो हमारे अंदर की भावना हमें नियत समय पर जगा देती है। वो ही हमारी प्राकृतिक अलार्म घड़ी है।
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Answer:
deepu picnic ke lie Kahan ka raha tha