अनोखा उपहार
शुक्रवार
अनुपम स्कूल से घर आया। वह बहुत उदास था।
: अनुपम, यूनीफॉर्म बदलकर हाथ-मुँह धो लो।
माँ
अनुपम ठीक है, माँ।
अनुपम मेरा मन नहीं है, माँ।
अनुपम मा, रविवार को राघव का जन्मदिन है। सब दोस्त
2
माँ
(अनुपम के सिर पर हाथ फेरकर) आज उदास क्यों
हो? मुझे बताओ।
(अनुपम कपड़े बदलकर बिस्तर पर लेट गया।)
: अनुपम, खाना तैयार है, जल्दी आ जाओ।
सका
T
उसे कीमती उपहार देने की बात कर रहे थे। मैं
उसे क्या दूँ? हमारे पास कीमती उपहार देने के लिए पैसे नहीं हैं।
माँ (प्यार से समझाते हुए) बेटा, उपहार की कीमत नहीं देखी जाती। राघव तुम्हारा
सबसे
अच्छा दोस्त है। तुम उसे जो भी दोगे, उसे अच्छा लगेगा।
अनुपम : सच माँ, फिर मैं उसे क्या हूँ?
माँ बेटा, तुमने अपने घर में लगे पौधे देखे हैं न! क्यारी में चमेली के कई पौधे फूट आए
हैं। कुछ में तो कलियाँ भी निकल आई हैं। क्यों न इन्हीं में
से एक-दो पौधे राघव को दे दो।
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