अनिल चाँदनी का व्यजन स्नेहमय है। भारत जननि! अंब! तेरी विजय है। सजी कंठ में सरिता मुक्त माला बसन अंग पर शस्य हरिताभ वाला, दिशाएँ चरण में महावर लगातीं।
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