Hindi, asked by aadi0904singh, 18 days ago

‘अन्नदाता कृषक’ कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।

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Answered by puskarkgp12
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     अन्नदाता की यह गाथा हम सबको जाननी चाहिए क्योंकि उसके परिश्रम पर ही हमारा जीवन निर्भर है । वायु और जल के बाद मनुष्य को उदर पूर्ति के लिए अन्न और तन ढकने के लिए वस्त्र की मूलभूत आवश्यकता है | यदि ये दोनों वस्तुएं नहीं होतीं तो शायद मनुष्य का अस्तित्व नहीं होता और यदि होता भी तो वह अकल्पनीय होता |

   आज जब हम अन्न और वस्त्र का सेवन करते हैं तो हमारी मन में यह सोच तक नहीं आता कि ये अन्न के दाने हमारे लिए कौन पैदा कर रहा है, यह तन ढकने के लिए सूत कहां से आ रहा है ? यह सब हमें देता है कृषक |

   कृषक वह तपस्वी है जो आठों पहर, हर ऋतु, मौसम, जलवायु को साधकर, हमारे लिए तप करता है, अन्न उगाता है और हमारी भूख मिटाता है | वह हमारा जीवन दाता है | मानवता ऋणी है उस अन्नदाता कृषक की जो केवल जीये जा रहा है तो औरों के लिए | अन्न के अम्बार लगा रहा है केवल हमारी उदर-अग्नि को शांत करने के लिए |

     कृषक के तप को देखकर अपनी पुस्तक‘स्मृति लहर (2004) में मैंने ‘अन्नदाता कृषक’कविता के शीर्षक से कुछ शब्द पिरोयें हैं जिसके कुछ छंद देश में डीएवी स्कूल की कक्षा सात की ‘ज्ञान सागर’ पुस्तक से यहां उद्धृत हैं –

पौ फटते ही ज्यों मचाये

विहंग डाल पर शोर,

शीतल मंद बयार जगाती

चल उठ हो गई भोर |

कांधे रख हल चल पड़ा वह

वृषभ सखा संग ले अपने,

जा पहुंचा निज कर्म क्षेत्र में

प्रात: लालिमा से पहले|

परिश्रम मेरा दीन धरम है

मंदिर हें मेरे खलिहान,

पूजा वन्दना खेत हैं मेरे

माटी में पाऊं भगवान् |

तन धरती का बिछौना मेरा

ओढ़नी आकाश है,

अट्टालिका सा सुख पा जाऊं

छप्पर का अवास है|

हलधर तुझे यह पता नहीं है

कार्य तू करता कितना महान,

तन ढकता, पशु- धन देता,

उदर- पूर्ति, फल- पुष्प का दान |

कर्मभूमि के रण में संग हैं

सुत बित बनिता और परिवार,

अन्न की बाल का दर्शन कर

पा जाता तू हर्ष अपार |

मानवता का तू है मसीहा

सबकी भूख मिटाता है,

अवतारी तू इस मही पर

परमेश्वर अन्नदाता है |

कृषक तेरी ऋणी रहेगी

सकल जगत की मानवता,

यदि न बोता अन्न बीज तू,

क्या मानव कहीं टिक पाता ?

जीवन अपना मिटा के देता

है तू जीवन औरों को,

सुर संत सन्यासी गुरु सम,

है अराध्य तू इस जग को |

धन्य है तेरे पञ्च तत्व को

जिससे रचा है तन तेरा,

नर रूप नारायण है तू

तुझे नमन शत-शत मेरा |

Answered by sunitadevi1092010
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मानवता का तू है मसीहा सब की भूख मिटाता है

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