अन्नदाता कृषक कविता में 'धन्य' किसे कहा गया है?
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O अन्नदाता कृषक कविता में 'धन्य' किसे कहा गया है?
► कृषक यानी किसान को।
अन्नदाता कृषक कविता में कृषक यानी किसान को धन्य कहा गया है।
पूरन चंद्र कांडपाल द्वारा रचित ‘अन्नदाता कृषक’ कविता में किसान के महत्व का गुणगान करते हुए उनके प्रति धन्यवाद अर्पित करते हैं। कवि के कहने का भाव यह है, यदि किसान बीज नहीं बोये और अथक परिश्रम करके अन्न नही उगाये तो इस धरती के सभी प्राणी भूखे मर जाएं। संसार के सभी प्राणी किसानों के ऋणी हैं, जो अन्नदाता के रूप में धरती पर अन्न उगाते हैं और इसी कारण प्राणियों को भोजन प्राप्त हो पाता है। इसलिए ऐसे किसान अन्नदाता धन्य हैं। उनके परिश्रम के कारण ही सभी प्राणियों का पेट भर पाता है। किसान नर के रूप में साक्षात् नारायण हैं।
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