अनुप्रास अलंकार की परिभासा एवम उदाहरण
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एक ही वर्ण की आवृति होती है अर्थात एक ही वर्ण बार-बार आता है |
जैसे- चारू चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही है जल थल में |
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अलंकार
काव्य सौंदर्य बढ़ाने वाले साधन को अलंकार कहते हैं । यानी जो अलंकित करें या शोभा बढ़ाएं और काव्य की सुंदरता पढ़ाने वाले गुण धर्म को अलंकार कहते हैं ।
• अनुप्रास अलंकार
= काव्य में ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने के लिए जब व्यंजनों की आवर्ती एक विशेष क्रम से हो तो , उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं ।
उदाहरण :-
• कालिंदी कूल कदंब की डारन
इस पंकित में " क " वर्ण की चार बार आवृत्ति होने के कारण यहां अनुप्रास अलंकार है ।
• तरनि तनूजा तट - तमाल तरुवर बहु छाए।
इस पंकित में " त " वर्ण की 5 बार आवृत्ति हुई है ।
• मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो ।
इस पंकित में " म " वर्ण की चार बार आवृत्ति हुई है ।
• रघु रघुपति राघव राजा राम
इस पंकित में " र " वर्ण वर्ण की 5 आवृत्ति हुई है ।
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