अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण चुनकर लिखिए ,उत्तर
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देखौ दुरौ वह कुंज कुटीर में बैठो पलोटत राधिका पायन। [4] मैन मनोहर बैन बजै सुसजै तन सोहत पीत पटा है। [5] उपर्युक्त पहली पंक्ति में 'द' और 'क' का तथा दूसरी पंक्ति में 'म' और 'ब' का प्रयोग दो बार हुआ है। खेल रहीं थीं जल-थल में
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⚡अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण ⚡
१ मुदित महिपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए ( ‘म’ और ‘स’ की आवृत्ति )
२ बंदौ गुरु पद पदुम परगा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ( ‘प’ और ‘स’ की आवृत्ति )
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यहां आप अनुप्रास अलंकार की समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अलंकार किस श्रेणी में आते हैं भेद , उदाहरण आदि को बेहद सरल और विस्तृत रूप से समझने का प्रयत्न किया गया है
यहां आप अनुप्रास अलंकार की समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अलंकार किस श्रेणी में आते हैं भेद , उदाहरण आदि को बेहद सरल और विस्तृत रूप से समझने का प्रयत्न किया गया है
अनुप्रास अलंकार
अलंकार – आभूषण , गहना यह सब एक ही शब्द के पर्याय हैं। जैसे स्त्री अपना सौंदर्य के लिए आभूषण पहनती है और अपने सौंदर्य को निखारती है उसी प्रकार से अलंकार वाक्य में शब्दों में प्रयोग होकर उस वाक्य की सौंदर्य को बढ़ाता है। साधारण अर्थ में अलंकार वह है जो किसी वस्तु को अलंकृत करें
‘अलंकार’ कविता को सौंदर्य प्रदान करता है। अलंकार तीन प्रकार के माने गए हैं
- शब्दालंकार
- शब्दालंकारअर्थालंकार
- शब्दालंकारअर्थालंकारउभयालंकार
शब्दालंकार
- शब्दालंकारध्वनि के आधार पर इसकी पहचान होती है।
- इसमें लयात्मकता होती है
- शब्दालंकार में प्रयुक्त शब्द का स्थान उसका पर्यायवाची नहीं ले सकता।
मुख्य अलंकार – अनुप्रास , यमक , पुनरुक्ति , वीप्सा , वक्रोक्ति , श्लेष है
अर्थालंकार – उपमा , रूपक , उत्प्रेक्षा , अतिशयोक्ति , अन्योक्ति आदि
अनुप्रास अलंकार
१ अनुप्रास अलंकार में एक ही व्यंजन की आवृत्ति बार-बार होती है
२ स्वरों की भिन्नता होते हुए भी एक या एक से अधिक वर्णों की निरंतर आवृत्ति अनुप्रास अलंकार कहलाता है
३ वर्णों की बार-बार आवृत्ति से काव्य सौंदर्य की वृद्धि होती है काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है यहां अनुप्रास अलंकार माना जाता है।
४ जहां व्यंजन वर्णों की आवृत्ति बार-बार होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है
अनुप्रास का अर्थ है वस्तु को अनुक्रम में रखना। इसके तीन भेद है – छेकानुप्रास , वृत्यनुप्रास , लाटानुप्रास।
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