अनौपचारिक पत्र और औपचारिक पत्र में अंतर स्पष्ट कीजिये| In Hindi
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अनौपचारिक पत्र अपने प्रिय संबंधित लोगो को लिखा जाता है. इस मे किसी भी प्रकार की उपचारीक ता का ध्यान नही रखा जाता है. अनौपचारिक पत्र मे विषय लिखने की आवश्यकता नही होती है परंतु आखिर में अपना पता लिखना अनिवार्य आहे. अनौपचारिक पत्र मे किसीसे क्षमा याचना या किसी भी प्रकार की कथा औपचारिकता नारखे
औपचारिक पत्र मे हमेशा सामने वाले व्यक्ति के प्रति आदर भाव होना अनिवार्य है. इस पत्र मे विषय को बहुत महत्वपूर्ण स्थान है.
औपचारिक पत्र मे सुरुवात आखिर आखिर मै होता अनिवार्य आहे. किसी भी प्रकार का प्रेम दयाभाव इस्मे नाडले. यह पत्र किसी भी कार्यालय सरकारी स्थान शाळा के मुख्याध्यापक अथवा किसी महत्वपूर्ण अधिकारी के प्रति लिखा जाता है
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पत्र
पत्र मुख्यत : दो प्रकार के होते हैं -
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र
इन पत्रों में औपचारिकता अर्थात शिष्टाचार , अभिवादन , नपी तुली बात , संयत भाषा इत्यादि की औपचारिकताओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है , वे औपचारिक पत्र कहलाते हैं । इस प्रकार के पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं , जिनके पास हमारी कोई जान पहचान या हमारा कोई निजी संबंध नहीं होता है । इनमें औपचारिकता , तथ्य , कलेवर ( विषय वस्तु ) ही प्रमुख होता है । व्यावसायिक , अव्यावसायिक , सरकारी , आवेदन इत्यादि पत्र इन के अंतर्गत ही आते हैं ।
अनौपचारिक पत्र
यह मुख्य रूप से घरेलू पत्र होते हैं अर्थात माता-पिता , भाई-बहन , सगे-संबंधी , मित्रगण इत्यादि इन लोगों का यह पत्र लिखा जाता है । इन्हें व्यक्तिगत या निजी पत्र भी कहा जाता है । इस प्रकार के पत्रों में कुशल - क्षेम के साथ पत्र लेखक की निजी भावनाओं का भी मिश्रण होता है । इनमें आयु एवं रिश्तो के आधार पर अभिवादन , संबोधन , औपचारिकता , शिष्टाचार इत्यादि निभाया जाता है । इन पत्रों को लिखते समय लेखक की भाषा शैली सामान्य , सरल एवं सहज होनी चाहिए ।