अनौपचारिक पत्र पहली बार भाषण प्रतियोगिया में हिस्सा लेने तथा पुरस्कार प्राप्त करने पर आपकी कसा अनुभव हुआ, अपने मित्र को पत्र लिखकर बताइए।
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तुम्हारा अभिन्न मित्र होने के कारण मैं तुम्हारे स्थान उनकी बधाई स्वीकार करता रहा। बचपन से ही तुम में भाषण देने की कला व तर्क शक्ति का बाहुल्य था। "होनहार बिरवान के होत चीकने पात" उक्ति तुम पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि भविष्य में भी तुम इस प्रकार सफलता प्राप्त करते रहो।
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