अनुस्वार एवं अनुनासिक ध्वनि क्यों है
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अनुनासिक स्वर है और अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है। इनके प्रयोग में कारण कुछ शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है। जैसे - हंस (एक जल पक्षी), हँस (हँसने की क्रिया)। धूल- गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच।
Explanation:
जब शिरोरेखा के ऊपर स्वर की मात्रा लगी हो तब सुविधा के लिए चन्द्रबिन्दु (ँ) के स्थान पर बिंदु (ं) का प्रयोग करते हैं। जैसे - मैं, बिंदु, गोंद आदि। अनुनासिक स्वर है और अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है। इनके प्रयोग में कारण कुछ शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है।
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