अनुसरण सभी ग्रह समास भेद
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पूर्वपद और उत्तरपद:-
समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे-गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।
संस्कृत में समासों का बहुत प्रयोग होता है। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समास उपयोग होता है। समास के छः भेद होते हैं:
1. अव्ययीभाव
2. तत्पुरुष
3. द्विगु
4. द्वन्द्व
5. बहुव्रीहि
6. कर्मधारय
1.अव्ययीभाव समास:-
जिस समास का पहला पद (पूर्व पद) प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु कर) न् इनमें यथा और आ अव्यय हैं।
कुछ अन्य महत्वपूर्ण उदाहरण:
आजीवन - जीवन-भर, यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार, यथाविधि - विधि के अनुसार
यथाक्रम - क्रम के अनुसार, भरपेट- पेट भरकर
हररोज़ - रोज़-रोज़, रातोंरात - रात ही रात में
प्रतिदिन - प्रत्येक दिन, निडर - डर के बिना
निस्संदेह - संदेह के बिना , प्रतिवर्ष - हर वर्ष
अव्ययीभाव समास की पहचान - इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे - ऊपर के समस्त शब्द है।
2.तत्पुरुष समास:- जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसी द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं-
कर्म तत्पुरुष (गिरहकट - गिरह को काटने वाला)
करण तत्पुरुष (मनचाहा - मन से चाहा)
संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर - रसोई के लिए घर)
अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला - देश से निकाला)
संबंध तत्पुरुष (गंगाजल - गंगा का जल)
अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास - नगर में वास)