Hindi, asked by vansh6818, 1 year ago

अनुशासन और नैतिकता पर निबंध लेखन​

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Answered by itspreet29
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heya mate...

1. भूमिका:

विद्यार्थी और अनुशासन का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है । अनुशासन के बिना कोई व्यक्ति विद्यार्थी नहीं हो सकता । अनुशासन का अ र्थ है नियमों के अनुसार हर कार्य करना । यदि नियम के अनुसार पढ़ाई-लिखाई न हो तो कोई विद्या नहीं सीखी जा सकती । अत: अनुशासन का महत्त्व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में तो है ही किन्तु विदद्यार्थी को इसकी सबसे अधिक जरूरत है ।

2. अभाव से हानियाँ:

अनुशासन के अभाव में टिके, मनुष्य का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है । अनुशासन छोड़कर कोई व्यक्ति न तो अपना कोई काम ठीक ढंग से ठीक समय पर कर सकता है और न ही अपने विचारों का प्रयोग किसी खास दिशा में कर सकता है ।

ऐसा होने पर कोई व्यक्ति अपनी उन्नति का कोई काम नहीं कर सकता और न भविष्य की योजना बना सकता है । पुराने समय में गुरुकुल में कुछ खास जाति या वर्ग के छात्रों को शिक्षा देने की प्रथा थी क्योंकि उनमें संस्कार से ही अनुशासन का गुण रहता था ।

जो विद्यार्थी अनुशासन में रहने लायक नहीं होते थे उन्हें आश्रम से अलग कर दिया जाता था क्योंकि वैसे छात्र विद्या पाने पर भी समाज को केवल हानि पहुँचाते थे । आज भी एक अनुशासनहीन छात्र अपने माता-पिता और गुरुजन को मानसिक कष्ट तो देते ही हैं बड़े होकर केवल बुरे कार्यों से देश को भी नुकसान पहुँचाते हैं ।

3. उपाय:

आज के अधिकतर विद्या र्थी अनुशासन के अभाव में तरह-तरह के बुरे कार्यों में लगे हुए देखे जाते हैं । सच्ची शिक्षा के स्थान पर वे जैसे -तैसे परी क्षा पास करने डिग्री लेने और नौकरी पा लेने अथवा व्यापार में लग जाने में ही विश्वास रखते हैं ।

4. उपसंहार:

विद्यार्थियों में अनुशासन लाकर न केवल उन्हें एक स्वस्थ और सफल नागरिकबनाया जा सकता है बल्कि आज केसमाज में फैले भ्रष्टाचार आतंकवाद आदि बुराइयों को भी जड़ से मिटाया जा सकता है और देश को एक अच्छा प्रशासन दिया जा सकता है ।

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