अनंत से मिलन' का क्या तात्पर्य है। dhwani chapter1
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➲ ‘अनंत से मिलन’ का तात्पर्य है, सुख के मिलन से। कवि वह अपने जीवन से निराश हुए लोगों को जीवन जीने की कला सिखा देना चाहते हैं, जिससे वे कभी अपने जीवन में उदास नहीं होंगे और अपना जीवन सुख से व्यतीत कर पाएंगे। सुख और सकारात्मकता से जीवन का यही साक्षात्कार ही अनंत मिलन है।
व्याख्या ⦂
✎... ‘ध्वनि’ कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला इन पंक्तियों के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि...
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको,
हैं वे मेरे जहां अनंत,
अभी न होगा मेरा अंत
अर्थात कवि सोए हुए फूलों यानी अपने जीवन से निराश लोगों के जीवन में आशा बनना चाहते हैं और उन्हें जीवन जीने की कला सिखा देना चाहते हैं, ताकि वह अपने जीवन से निराश ना हो उदास ना हो और अपने जीवन को सुख से बिताएं।
यहां पर अनंत मिलन से तात्पर्य सुख के मिलन से है, कवि लोगों को सुख से जीवन जीने की कला सिखा देना चाहते हैं।
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अनंत से मिलन से क्या अभिप्राय है