India Languages, asked by manalrijhwani7044, 11 months ago

'अन्धन्तमः प्रविशन्ति.....विद्यायां रताः' इति मन्त्रस्य भावं हिन्दीभाषया आंग्लभाषया वा विशदयत ।

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Answered by coolthakursaini36
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अन्धन्तमः प्रविशन्ति.....विद्यायां रताः' इति मन्त्रस्य भावं हिन्दीभाषया आंग्लभाषया वा विशदयत ।

भावार्थ-> अविद्या और विद्या वेद की विशेष शब्द है। अविद्या से तात्पर्य है शरीर की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायता करने वाला ज्ञान। विद्या का अर्थ है आत्मा के रहस्य को प्रकट करने वाला अध्यात्म ज्ञान। वेद मंत्र का तात्पर्य है कि यदि व्यक्ति केवल भौतिक साधनों को जुटाने का ज्ञान ही प्राप्त करता है और आत्मा के स्वरूप ज्ञान को भूल जाता है तो बहुत बड़ा अज्ञान है, उसका जीवन अंधकार में है परंतु जो व्यक्ति केवल अध्यात्म ज्ञान में ही मस्त रहता है उसकी दुर्दशा तो बहुत ही ज्ञान वाले से भी अधिक दयनीय होती है क्योंकि भौतिक साधनों के अभाव में शरीर की रक्षा भी कठिन हो जाएगी।।

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