Hindi, asked by shaivalijoshi760, 10 months ago

अन्वेषण कविता का भावार्थ राम नरेश त्रिपाठी

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Answered by gpsingh9038
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Answer:

मेँ ढूँढता तुझे था पद्य की सार कथा |

Explanation:

यहाँ पर कवि राम नरेश त्रिपाठी जी ने प्रभु के निर्गुण और निराकार गुण को बड़े ही अच्छे तरीके से अपने शब्दों में व्यक्त किया हैं | पद्य के प्रारंभिक भाग में कवि प्रभु जी को दुनिया के हर जगह ढूंढते हुए नजर आ रहें हैं, परंतु इतना खोजने के बाद भी उन्हें प्रभु की दर्शन नहीं पाया हैं |

बाद में उन्हें समझ आया है की, प्रभु को ढूँढने की जरूरत नहीं हैं | क्योंकि वह तो हर जगह |विद्यमान हैं | दुनिया के हर एक कण में आपको परमात्मा की सत्ता देखने को मिलेगी | कवि ने और भी कहा है की, हर एक धर्म में प्रभु के अलग-अलग रूप को दिखाया गया है परंतु मूल बात तो यह है की भगवान जी तो एक ही हैं |

कवि ने पद्य के अंतिम भागों में प्रभु जी से प्रार्थना की है की, वह उनके मन को हमेशा साफ रखने में उनकी मदद करें और जीवन में आने वाली हर एक मुसीबत से उन्हें डट कर लढने की ताकत प्रदान करें |

Answered by shishir303
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अन्वेषण कविता का भावार्थ राम नरेश त्रिपाठी

भावार्थ :  'अन्वेषण' नामक कविता रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित की गई कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने ईश्वर के अन्वेषण करने का प्रयास किया है। कवि ने ईश्वर की खोज में अपने जो अनुभव प्राप्त किए गए, उन्होंने कविता के माध्यम से प्रकट किए हैं।

कवि बताते हैं कि ईश्वर अपने भक्तों से क्या आशा रखते हैं। जीवन में ईश्वर की सच्ची भक्ति का क्या उद्देश्य है। कवि के अनुसार ईश्वर का निर्गुण व निराकार रूप को ही सबसे अच्छा रूप है। हम ईश्वर को इस संसार में हर जगह ढूंढते हुए नजर आते हैं, लेकिन हमें ईश्वर नहीं मिल पाते। जबकि ईश्वर हमारे अंदर ही हैं।

हमे ईश्वर को कहीं खोजने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि वह तो संसार के हर कण-कण में व्याप्त हैं। भले ही ईश्वर को हर धर्म में अलग-अलग रूप में दिखाया गया हो लेकिन सब सब के मूल में ईश्वर एक ही है। सही आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने मन को साफ रखें। अपने मन को स्वच्छ एवं निर्मल बनाएं। अपने अंदर के ईश्वर को पहचानें। हर तरह की आपत्ति, संकट, दुख आदि से लड़ने की क्षमता विकसित करें। ईश्वर की खोज इधर-उधर ना करके अपने अंदर ही करें, तो हमें ईश्वर की स्वतः प्राप्ति हो जाएगी।

#SPJ3

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कुछ और जानें...

पौ फटते ही ज्यों मचाए,

बिहम डाल पर शोर,

शीतल मंद बयार जगाती,

चल उठ हो गई भोर।

भावार्थ क्या है?

https://brainly.in/question/27960252

इन पंक्तियों के भावार्थ लिखिए-

(क) उनकी गाथा पर निशीथ में, क्षुद्र जंतु ही गाते।

(ख) यहाँ निहित है स्वतंत्रता की, आशा की चिनगारी।

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