अनुवाद की परिभाषा एवं उद्देश्य लिखिए?
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अनुवाद’ शब्द संस्कृत का यौगिक शब्द है जो ‘अनु’ उपसर्ग तथा ‘वाद’ के संयोग से बना है। संस्कृत के ‘वद्’ धातु में ‘घञ’ प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है ‘वाद’। ‘वद्’ धातु का अर्थ है ‘बोलना या कहना’ और ‘वाद’ का अर्थ हुआ ‘कहने की क्रिया’ या ‘कही हुई बात’। ‘अनु’ उपसर्ग अनुवर्तिता के अर्थ में व्यवहृत होता है। ‘वाद’ में यह ‘अनु’ उपसर्ग जुड़कर बनने वाला शब्द ‘अनुवाद’ का अर्थ हुआ-’प्राप्त कथन को पुन: कहना’।
उद्देश्य -
१)अनुवाद से शब्द को स्पष्ट रूप से जानने में मदद मिलती है।
२) अनुवाद से शब्दों को सरल रूप में जाना जा सकता है।
३) अनुवाद करके हम किसी भी भाषा को जान सकते हैं।
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