Hindi, asked by riaanMori, 2 months ago

अनुवाद कितने प्रकार के होते हैं सोदाहरण वर्णन कीजिए​

Answers

Answered by AbhiThakur07
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Explanation:

व्याख्यानुवाद में मूल कृति की व्याख्या भी अनुवाद के साथ साथ की जाती है। संस्कृत-हिंदी में टीका साहित्य इसी प्रकार का अनुवाद है। यहां अनुवादक व्याख्याकार भी होता है। वह मूल कृति की बातें स्पष्ट करने के लिए अपनी ओर से उद्धरण, प्रमाण या उदाहरण भी जोड़ सकता है।

Answered by bksinghakauna999
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Answer:

अनुवाद के प्रकार 

गद्य-पद्य पर आधारित प्रभेद 

गद्यानुवाद : गद्यानुवाद सामान्यत: गद्य में किए जानेवाले अनुवाद को कहते हैं। किसी भी गद्य रचना का गद्य में ही किया जाने वाला अनुवाद गद्यानुवाद कहलाता है। किन्तु कुछ विशेष कृतियों का पद्य से गद्य में भी अनुवाद किया जाता है। जैसे ‘मेघदूतम्’ का हिन्दी कवि नागार्जुन द्वारा किया गद्यानुवाद।

पद्यानुवाद : पद्य का पद्य में ही किया गया अनुवाद पद्यानुवाद की श्रेणी में आता है। दुनिया भर में विभिन्न भाषाओं में लिखे गए काव्यों एवं महाकाव्यों के अनुवादों की संख्या अत्यन्त विशाल है। इलियट के ‘वेस्टलैण्ड’, कालिदास के ‘मेघदूतम्’ एवं ‘कुमारसंभवम्’ तथा टैगोर की ‘गीतांजलि’ का विभिन्न भाषाओं में पद्यानुवाद किया गया है। साधारणत: पद्यानुवाद करते समय स्रोत-भाषा में व्यवहृत छन्दों का ही लक्ष्य-भाषा में व्यवहार किया जाता है।

छन्दमुक्तानुवाद : इस प्रकार के अनुवाद में अनुवादक को स्रोत-भाषा में व्यवहार किए गए छन्दों को अपनाने की बाध्यता नहीं होती। अनुवादक विषय के अनुरूप लक्ष्य-भाषा का कोई भी छन्द चुन सकता है। साहित्य में ऐसे अनुवाद विपुल संख्या में उपलब्ध हैं।

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