Hindi, asked by tnaveena091, 7 months ago

अनुवाद क्या है एक अच्छे अनुवादक की विशेषताएँ बताइये​

Answers

Answered by sp1985jhajjar
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Answer:

अच्छे अनुवादक के गुण :-

अनुवाद एक कला ही नहीं अपितु विज्ञान भी है। निरंतर अभ्यास, अनुशीलन तथा अध्ययन आदि से इसमें कार्य कुशलता की पहचान होती है,क्योंकि उसके सामने अनुवाद के समय दो भाषाऍं होती है और उन दोनों भाषाओ के स्वरूप तथा मूल प्रकृति एवं प्रवृत्ति का गहन अध्ययन, अनुशीलन करना अनुवादक का प्रथम कार्य होता है।

किसी भी परिनिष्ठित अनुवाद में अनुवाद की भूमिका केन्द्रवर्ती और महत्तम होती है। अगर अनुवाद कला है, तो अनुवादक कलाकार और अनुवाद अगर विज्ञान है,तो अनुवादक एक विज्ञानी। सफल अनुवाद कार्य के लिए अच्छे अनुवादक के कुछ गुण विध्वानों ने प्रस्तुत किए हैं, जो इस प्रकार है –

1). अच्छे अनुवादक को भाषाओं का समुचित ज्ञान होना चाहिए।

2). अच्छे अनुवादक को सम्बन्धित विषय का सम्पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

3). अच्छे अनुवादक के पास स्वतंत्र विचार शक्ति होनी चाहिए।

4). अच्छे अनुवादक के पास लोकोत्तर मेधा और आनंद कौशल होना चाहिए।

5). अच्छे अनुवादक में अनुवाद विधा का पूरा का पूरा ज्ञान होना चाहिए।

6). अच्छे अनुवादक में व्याकरण का ज्ञान होना ज़रुरी है।

7). अच्छे अनुवादक में प्रामाणिकता व मौलिकता के गुण का होना अति आवश्यक है।

धन्यवाद ।

Explanation:

Hope it helps.

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Answered by ruhi08
2

Answer:

किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है।

संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया।

वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है-

उसके सपने सच हुए।

HIS DREAMS BECAME TRUE - TRANSLATION

USKEY SAPNE SACH HUEY - TRANSCRIPTION

इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है।

अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है।

किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज

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