India Languages, asked by KrishanRauniyar, 4 months ago

अनुवादक गुरु संस्कृत ज्ञान के बिना संस्कार नहीं होता है​

Answers

Answered by rashmisharma1986
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Answer

उत्तर गलत है ।

Explanation

जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार विविध धर्मपंथ एक ही तत्त्व की सीख देते है

सर्वं परवशं दु:खं सर्वम् आत्मवशं सुखम् ।

एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुख-दु:खयो: ॥

जो चीजें अपने अधिकार में नहीं है वह दु:ख से जुडा है लेकिन सुखी रहना तो अपने हाथ में है । आलसी मनुष्य को ज्ञान कैसे प्राप्त होगा ? यदि ज्ञान नहीं तो धन नही मिलेगा ।

यदि धन नही है तो अपना मित्र कौन बनेगा ? और मित्र नही तो सुख का अनुभव कैसे ।

।। सेवा ही परम धर्म है

अनन्तपारम् किल शब्दशास्त्रम् स्वल्पम् तथाऽऽयुर्बहवश्च विघ्नाः । सारं ततो ग्राह्यमपास्य फल्गु हंसैर्यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात्‌ ॥

पढने के लिए बहुत शास्त्र हैं और ज्ञान अपरिमित है | अपने पास समय की कमी है और बाधाएं बहुत है । जैसे हंस पानी में से दूध निकाल लेता है उसी तरह उन शास्त्रों का सार समझ लेना चाहिए।

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