अन्वयः
"
तुलसीकाननं चैव गृहे यस्यावतिष्ठति।
तद्गृहं तीर्थभूतं हि नायान्ति यमकिङ्कराः ॥
(i)
गृहे एव तुलसीकाननं (ii)
तद् (iii)
तीर्थभूतं (भवति) यमकिङ्कराः च (तत्र) न (iv)
तुलसीगन्धमादाय यत्र गच्छति मारुतः।
दिशो दश पुनात्याशु भूतग्रामांश्चतुर्विधान् ॥
अन्वयः-(i)
तुलसीगन्धम् (ii)
यत्र गच्छति, चतुर्विधान् (iii)
दश दिशः आशु (iv)
गि तात्म्यों का संस्कत में अनवाद कीजिए।)
Answers
Answer:
काेराेना संक्रमण के कारण बसाें काे यात्री नहीं मिल रहे हैं। लॉकडाउन होने पर मार्च में बंद बसें करीब 3 महीने बाद 5 जुलाई से शुरू हुईं थी। यह 18 दिन ही चलीं। इन 18 दिनाें में मात्र 1300 लाेगाें ने यात्रा की है। आम दिनों में रोज 3000 लाेग राेज चलते थे। लाॅकडाउन हाेने के बाद शुरू हाेने पर राेज बमुश्किल 60 से 70 यात्री ही मिले। इसके बाद रायपुर में लाॅकडाउन हाेने के कारण बसें बंद हाे गईं। नगरी रोड पर फिलहाल 4 बसें ही चल रहीं हैं। इनकाे भी यात्री नहीं मिल रहे। इन बसाें के आने जाने पर 3000 रुपए खर्च अा रहा है। यात्रियाें से 500 रुपए ही मिल रहे हैं। धमतरी से रायपुर सहित अन्य जिलों में जाने वाली बसें बंद हो गई। करीब 18 दिन बाद दोबारा बसें बंद होने से बस ऑपरेटर, चालक व परिचालकों की चिंता बढ़ गई है। उन्हें खराब आर्थिक स्थिति से गुजरना पड़ रहा है। गुरुवार को इस रुट पर चलने वाली सभी बसें बंद हो गई हैं। अभी धमतरी से नगरी, बेलरगांव के लिए केवल 4 गाड़ी चल रही है। 2 से ढाई घंटे स्टैंड पर खड़े होने पर 4 से 5 सवारी ही मिल रहीं हैं। सवारी नहीं मिलने से जाने-आने का खर्च करीब 3000 रुपए आ रहा। बदले में 500 रुपए ही मिल रहे हैं। यात्री नहीं मिलने से इस रूट की बसें भी जल्द बंद होने की बात कही जा रही है। 20 प्रतिशत बसें ही चल रहीं थी: अनलाॅक शुरू हाेने के बाद 5 जुलाई से 20 प्रतिशत बसें चल रही थीं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए शासन ने बस मालिकों को सवारियों के संबंध में जानकारी रखने के निर्देश दिए थे। कोरोना की दहशत में सवारी नहीं मिलीं। ऐसे में बसें भी कम चलीं। धमतरी से रायपुर के लिए 5 छाेटी बसें व 8 से 10 लग्जरी बसें चल रही थी। इस दौरान 18 दिन में करीब 1300 लोगों ने सफर किया है। लॉकडाउन से पहले सभी रूटों में करीब 3 हजार से अधिक लोग हर दिन सफर किया करते थे।
Explanation:
जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर में ना ही यम आता है ना ही भूत प्रेत