Social Sciences, asked by kajayasmeen1511, 1 year ago

अन्य गीताओं के होने के बाद भी कृष्ण की गीता का स्थान इतना ऊँचा क्यों?

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Answered by abhikumar12
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अगर आप उसको सिर्फ दार्शनिक रूप से देखें तो उपनिषद ज़्यादा शुद्ध हैं, अष्टावक्र की गीता कृष्ण की गीता से कहीं ज़्यादा शुद्ध है। अवधूत गीता और रिभुगीता, भगवत गीता से कहीं ज़्यादा ऊँचें स्तर की हैं। जो परम ज्ञान है, जो परम सत्य है, उसके कहीं अधिक करीब है। लेकिन कृष्ण की गीता फिर भी अधिक मान्य है, क्योंकि वो अधिक लाभप्रद है।

अवधूत गीता परम शुद्ध है पर लाभ नहीं दे पाएगी। कृष्ण की गीता में मिलावट है, पर वो लाभ देती है क्योंकि वो जीवन से जुड़ी हुई है।

और कृष्ण इसीलिए पूर्ण हैं क्योंकि उनके पास मात्र ज्ञान नहीं है, उनके पास वो ज्ञान है जो जीवन के संदर्भ में चलता है। वो पोंगा-पंडित नही हैं, वो जानते हैं कि काम कैसे होगा।

तो वो उपनिष्दिक ज्ञान लेते हैं और उसको एक लड़ाई के मैदान पर कार्यान्वित भी कर पातें हैं।

गीता क्या है?

गीता एक उपनिषद है, जिसको लड़ाई के मैदान पर उपयोग किया जा रहा है।

इसी कारण गीता का स्थान बहुत ऊँचा है।

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