Math, asked by Anonymous, 6 months ago

अन्य संत कवियों नानक, दादू और रैदास आदि के ईश्वर संबंधी विचारों का संग्रह करें और उनपर एक परिचर्चा करे।।​

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Answered by zahidalikfueit400
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Answer:

sorry don't understand the Hindi language please write in English

Answered by Anonymous
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Answer:

कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?

उत्तर:

कबीर ने ईश्वर को एक माना है। उन्होंने इसके समर्थन में निम्नलिखित तर्क दिए हैं

संसार में सब जगह एक पवन व एक ही जल है।

सभी में एक ही ज्योति समाई है।

एक ही मिट्टी से सभी बर्तन बने हैं।

एक ही कुम्हार मिट्टी को सानता है।

सभी प्राणियों में एक ही ईश्वर विद्यमान है, भले ही प्राणी का रूप कोई भी हो।

प्रश्न. 2.

मानव शरीर का निर्माण किन पंच तत्वों से हुआ है?

उत्तर:

मानव शरीर का निर्माण धरती, पानी, वायु, अग्नि व आकाश इन पाँच तत्वों से हुआ है। मृत्यु के बाद में तत्व अलग-अलग हो जाते हैं।

प्रश्न. 3.

जैसे बाढ़ी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई।

सब घटि अंतरि तूंही व्यापक धरै सरूपै सोई॥

इसके आधार पर बताइए कि कबीर की दृष्टि में ईश्वर का क्या स्वरूप है?

उत्तर:

कबीरदास ईश्वर के स्वरूप के विषय में अपनी बात उदाहरण से पुष्ट करते हैं। वह कहते हैं कि जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को काट देता है, परंतु उस लकड़ी में समाई हुई अग्नि को नहीं काट पाता, उसी प्रकार मनुष्य के शरीर में ईश्वर व्याप्त है। शरीर नष्ट होने पर आत्मा नष्ट नहीं होती। वह अमर है। आगे वह कहता है कि संसार में अनेक तरह के प्राणी हैं, परंतु सभी के हृदय में ईश्वर समाया हुआ है और वह एक ही है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि ईश्वर एक है। वह सर्वव्यापक तथा अजर-अमर है। वह सभी के हृदयों में आत्मा के रूप में व्याप्त है।

प्रश्न. 4.

कबीर ने अपने को दीवाना’ क्यों कहा है?

उत्तर:

‘दीवाना’ शब्द का अर्थ है-पागल। कबीर स्वयं के लिए इस शब्द का प्रयोग इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि वे झूठे संसार से दूर प्रभु (परमात्मा) में लीन हैं, भक्ति में सराबोर हैं। उनकी यह स्थिति संसार के लोगों की समझ से परे है, अतः वे स्वयं के लिए इस शब्द का प्रयोग कर रहे हैं।

प्रश्न. 5.

कबीर ने ऐसा क्यों कहा है कि संसार बौरा गया है?

उत्तर:

कबीरदास कहते हैं कि यह संसार बौरा गया है, क्योंकि जो व्यक्ति सच बोलता है, उसे यह मारने को दौड़ता है। उसे सच पर विश्वास नहीं है। कबीरदास तीर्थ स्थान, तीर्थ यात्रा, टोपी पहनना, माला पहनना, तिलक, ध्यान आदि लगाना, मंत्र देना आदि तौर-तरीकों को गलत बताते हैं। वे राम-रहीम की श्रेष्ठता के नाम पर लड़ने वालों को गलत मानते हैं, क्योंकि कबीर की दृष्टि में ईश्वर एक है। वह सहज भक्ति से प्राप्त हो सकता है। इन बातों को सुनकर समाज उनकी निंदा करता है तथा पाखडियों की झूठी बातों पर विश्वास करता है। अत: कबीर को लगता है कि संसार पागल हो .

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