अन्याय का विरोध करना कहा तक उचित है?
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शिक्षा ही एकमात्र आधार है, जिसके बलबूते मनुष्य न्याय-अन्याय में भेद कर सकता है। अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकता है। हमें सोचना चाहिए कि अन्याय को सहने वाले भी उतना ही अपराधी हैं, जितना अन्याय करने वाला। अत: अन्याय का विरोध सर्वमान्य व सर्वोच्च होना चाहिए।
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शिक्षा ही एकमात्र आधार है, जिसके बलबूते मनुष्य न्याय-अन्याय में भेद कर सकता है। अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकता है। हमें सोचना चाहिए कि अन्याय को सहने वाले भी उतना ही अपराधी हैं, जितना अन्याय करने वाला। अत: अन्याय का विरोध सर्वमान्य व सर्वोच्च होना चाहिए।
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