Hindi, asked by Harshitakashyap141, 19 days ago

अन्याय सहना अन्याय करने के समान है anuched lekhan

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Answered by userm3704
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न्याय वह सर्वमान्य वस्तु है जो प्रत्येक मनुष्य के लिए अनिवार्य है। जबकि अन्याय वह बुराई, जिसके खिलाफ हर किसी को आवाज उठानी चाहिए। चाहे वह किसी भी वर्ग, समुदाय या जाति का हो। न्याय एक बुनियादी सिद्धांत है, जिस पर शुरू से ही विचार होता आया है, लेकिन वर्तमान समय में हालात बदल रहे हैं। न्याय एक जटिल अवधारणा बनती जा रही है, जबकि अन्याय एक सरल विचारधारा। कहीं न कहीं हर वर्ग का प्राणी अन्याय झेल रहा है। इसकी वजह, न्यायिक प्रक्रिया तक पहुंचने में आने वाली जटिलताएं। प्लेटो ने भी कहा था, यदि प्रत्येक मनुष्य समाज में रहकर अपनी योग्यता के अनुसार अपने लिए निर्दिष्ट कृत्यों को पूरा करता है तो वही न्याय है। हां, अगर असत्य के आगे झुक जाता है। किसी के हितों का हनन करता है, उसे अन्याय ही कहेंगे।

अन्याय के खिलाफ नागरिकों की आवाज से आशय गलत व्यवहार, धारणा, कृत्य पर प्रतिबंध है। न्याय प्रत्येक व्यक्ति के ह्रदय में विद्यमान है। अगर वह अपने कर्तव्यों का उचित ढंग से पालन करता है तो वह न्यायप्रियता का परिचय देता है। न्याय प्रत्येक मनुष्य को समान अधिकार, समान नियम, समान सुविधाएं देकर प्रदान किया जा सकता है। हां, अगर समाज का कोई व्यक्ति इन सबका उपभोग केवल अपने लिए करना चाहता तो यह दूसरे व्यक्ति के साथ अन्याय है।

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अन्नाय को हथियार बनाकर लड़े

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