Hindi, asked by ruovimelie, 11 months ago

अनाज़ से भरी बैलगाड़ी हाँकने वाला बूढ़ा किसान कौन था?​

Answers

Answered by patilhiralal536
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Explanation:

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में करीब 30 साल पहले तवा परियोजना की नहरें आईं। इसके साथ ही परंपरागत बीजों की जगह प्यासे संकर बीज आए। देशी गोबर खाद की जगह रासायनिक खाद का इस्तेमाल होने लगा। हल-बैल की जगह ट्रैक्टर से जुताई होने लगी। खेत और बैल का रिश्ता टूटने लगा। यह बदलाव देश और प्रदेश में भी हरित क्राति के साथ आए, लेकिन यहां बहुत तेजी से आए। इस बदलाव से समृद्धि का भी अहसास होता है। आधुनिक खेती में यह क्षेत्र अग्रणी रहा है। मध्य भारत में होशंगाबाद और हरदा जिले की खेती को हरित क्रांति का सबसे अच्छा मॉडल माना जाता था। शुरुआत में यहां पैदावार भी बढ़ी। खुशहाली आई लेकिन इसके साथ कई समस्याएं भी आई। गेहूं और सोयाबीन की पैदावार ठहर गई है। खाद, बीज, कीटनाशक दवाई, डीजल, बिजली, मशीनों आदि की लगातार बढ़ती कीमतें परेशानी का सबब बन गई हैं। इसी साल सोयाबीन की फसल खराब होने से होशंगाबाद जिले में 3 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। हर रोज प्रदेश में 4 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों का संकट गहराता जा रहा है। वे सड़कों पर उतर रहे हैं। धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उनकी मुसीबत कम नहीं हो रही है।

तवा बांध से सिंचाई के बाद पूरे कमांड क्षेत्र में जंगल, चारागाह तथा सामुदायिक उपयोग की भूमि लगभग खत्म हो गई है। चरोखर और पड़ती भूमि अब नहीं के बराबर है। इससे सबसे बड़ा नुकसान पारंपरिक पशुपालन का हुआ है। पशुओं की संख्या घटी है। इससे आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदाय के गरीब लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। पहले देशी गाय, भैंस, बकरी, भेड़, गधे, घोड़े आदि से इनकी आजीविका चलती थी। लेकिन अब इनकी संख्या बहुत कम हो गई है या नहीं के बराबर है। अब जो डेयरी उद्योग के रूप में पशेपालन हो रहा है, वह बहुत महंगा और पूंजी प्रधान है। पशुधन कम होने का एक कारण मवेशियों के लिए चारे और भूसा की कमी है। गांव में पहले चरोखर की जमीन, नदी-नालों व गांव के आसपास की जमीन पर पशु चरा करते थे। अब यह सार्वजनिक उपयोग की जमीनें रसूखदार लोगों के कब्जे में है या उस पर खेती होने लगी है।

होशंगाबाद के पास रोहना के किसान चरोखर की जमीन वापस दिलाने की मांग कर रहे हैं। इसी प्रकार हार्वेस्टर से कटाई होने के कारण भूसा या फसलों के डंठल जला दिए जाते हैं, इस कारण भूसा भी नहीं मिल पाता। अब यह समस्या है कि अब मवेशियों को क्या चराएं? खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं। खेती में उस समय बड़ा मोड़ आया जब खेतों की जुताई बैलों से होने लगी। यह रिश्ता हजारो सालों से चला आ रहा है। किसान के घरो में गायें होती थी। उनके बछड़े बड़े होने पर खेतों की जुताई करने के काम आते थे।

Answered by us2471373
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Answer:

जब थम झज्जर महजब भऐको जच़ चल नए ऋण मदद

Explanation:

मरदे मर घरजम जबरन

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