अनगिनत कठिन पहाट नदी की राह रोकने आते,
पर उसकी गति के सम्मुख सब चूर-चूर हो जाते,
चलना ही बहना ही जिसके जीवन का व्रत प्रण है.
युग के भी तुफान प्रलय-धन उमको रोक न पाते।
1 नदी की राह रोकने क्या आते हैं?
2. उसकी गति के सम्मुख कठिन पहाड क्या हो जाते ?
3. जीवन का व्रत प्रण क्या है?
4. उमको क्या रोक न पाते?
5 इस पद्य में किसकी गति के बारे में बताया गया?
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1) अनगिनत कठिन पहाट
2) चूर-चूर हो जाते
3) चलना ही जीवन का व्रत प्रण है.
4) युग के भी तुफान प्रलय-धन
5) नदी की
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