‘अनल-किरीट’ कविता का निहितार्थ स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर:
कवि दिनकर ने ‘अनल-किरीट’ कविता में यह भाव व्यक्त किया है। कि दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करने वालों को कष्ट सहन करने को तैयार रहना होगा। ‘काँटों का ताज’ या ‘मुसीबतों का ताज’ आसानी से धारण करना सम्भव नहीं रहता है। ऐसे लोगों के सामने अनेक बाधाएँ आती हैं। अतः इन्हें उनसे नहीं घबराना चाहिए। वस्तुतः बाधाओं एवं कठिनाइयों में काम करने से उनका उत्साह और भी बढ़ जाता है। बड़े-बड़े साहसी व्यक्ति भी उनकी हिम्मत देखकर चकित रह जाते हैं। भाल पर अनल-किरीट रखने वाले सदैव धैर्य, साहस और संघर्ष से आगे बढ़ते हैं। ऐसे व्यक्ति ही अपने उद्देश्य में सफल होते हैं।
Answer:
कवि दिनकर ने 'अनल-किरीट' कविता में इस भाव को व्यक्त किया है कि दूसरों के कल्याण के लिए काम करने वालों को भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। 'कांटों का ताज' या 'परेशानियों का ताज' आसानी से पहनना संभव नहीं है। ऐसे लोगों के सामने कई बाधाएं आती हैं। इसलिए उनसे डरना नहीं चाहिए।
Explanation:
बाधाओं और मुश्किलों में काम करने से उनका उत्साह और भी बढ़ जाता है। बड़े-बड़े साहसी लोग भी इनका साहस देखकर चकित रह जाते हैं। ऐसे व्यक्ति ही अपने उद्देश्य में सफल होते हैं। भाले पर गुदा-किरीट वाले लोग हमेशा धैर्य, साहस और संघर्ष के साथ आगे बढ़ते हैं।
इसके लिए उस व्यक्ति का दृढ़ इरादा, दृढ़ जुनून होना चाहिए, साथ ही उसे अपनी आलोचना और लक्ष्य प्राप्त करने में बाधाओं की परवाह नहीं करनी चाहिए। उसे आलस्य और लड़ाई का त्याग करते हुए लगातार गतिशील और मेहनती होना चाहिए। कवि ने संदेश दिया है कि जीवन को सार्थक और सफल बनाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
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