अनप्रुआस, यमक, श्लेष, उपमा,रूपक एवंउत्प्रेक्षा अलंकारों के दो दो उदाहरण लिखिए।
Answers
अनुप्रास अलंकार-:
एक या अनेक वर्णो की पास-पास तथा क्रमानुसार आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहते हैं ।
उदाहरण:—
तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
(त अक्षर की आवृत्ति)
चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही है जल-थल में।
(च तथा ल की आवृत्ति)
रघुपति राघव राजा राम।
(र अक्षर की आवृत्ति)
भगवान भक्तों की भयंकर भूरी भीति भगाइए । ( भ वर्ण की आवर्ती है )
यमक अलंकार-:
एक ही शब्द, जब दो या दो से अधिक बार आये तथा उनका अर्थ अलग-अलग हो,तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है ।
उदाहरण :-
तो पर बारों उरबसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उरबसी, छबै उरबसी समान।
कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाये।
या खाये बौराये जग, बा खाये बौराये।
श्लेष अलंकार-:
यह अलंकार शब्द, अर्थ दोनो में प्रयुक्त होता हैं। श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं।
उदाहरण :-
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
यहाँ 'पानी' का प्रयोग तीन बार किया गया है, यहाँ प्रयुक्त 'पानी' शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'चमक' या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'प्रतिष्ठा', चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'जल' है।
उत्प्रेक्षा अलंकार-:
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना हो।जहां उपमेय और उपमान में समानता के कारण रूप में उपमान की संभावना की कल्पना की जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण:—
उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा। मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा
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