अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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हरिहर काका ने अपने अनुभव से यह सीखा था कि जिस व्यक्ति के हाथ से संपत्ति छिन जाती है उसकी क्या दुर्दशा होती है। उन्होंने ऐसे कई उदाहरण देखे थे जिसमें लोगों ने किसी बुजुर्ग से संपत्ति अपने नाम लिखवाने के बाद उस बुजुर्ग की हालत कुत्ते से भी बदतर कर दी थी। इसलिए हरिहर काका पूरी तरह से यह मन बना चुके थे कि अपने जीते जी किसी के नाम अपनी जायदाद नहीं करेंगे। इसी आधार पर लेखक ने कहा है कि अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते थे।
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अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। वे जानते हैं कि जब तक उनकी जमीन-जायदाद उनके पास है, तब तक सभी उनका आदर करते हैं। ठाकुरबारी के महंत उनको इसलिए समझाते हैं क्योंकि वह उनकी जमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना चाहते हैं। उनके भाई उनका आदर-सत्कार जमीन के कारण करते हैं। हरिहर काका ऐसे कई लोगों को जानते हैं, जिन्होंने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी और के नाम लिख दी थी। बाद में उनका जीवन नरक बन गया था। वे नहीं चाहते थे कि उनके साथ भी ऐसा हो।
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