अनतथि सत्कार के कुछ उदािरण पौराखणक किाओं के आधार पर लिखिए |
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बरसों से अतिथि का स्वागत, सम्मान और सत्कार हमारी पवित्र परंपरा रही है। क्या आप जानते हैं कि अतिथि की परिभाषा में कौन आता है?
अतिथि का अर्थ : अतिथि संस्कृत का मूल शब्द है। इसे अंग्रेजी में गेस्ट कहते हैं और उर्दू में मेहमान। मालवा, निमाड़ और राजस्थान में पावणा, हिन्दी में अभ्यागत, आगंतुक, पाहुन या समागत कहते हैं।
अतिथि का शाब्दिक अर्थ परिव्राजक, सन्यासी, भिक्षु, मुनि, साधु, संत और साधक से है। प्राचीन काल में अतिथि का प्रयोग प्राय: बगैर तिथि बताए आने वाले संतों या आगुंतकों से किया जाता था। यज्ञ के लिए सोमलता लानेवाला व्यक्ति को भी अतिथि कहा जाता था। समय आदि की सूचना दिए हुए घर में ठहरने के लिए अचानक आ पहुंचने वाला कोई प्रिय अथवा सत्कार योग्य व्यक्ति। वर्तमान में इसका अर्थ बदल गया जो कि उचित नहीं है।
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thanku