Anchoring script for 15th August Independence day Raksha Bandhan and Sanskrit divas please
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मैं आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देता हूं/देती हूं. मुझे 73वें स्वतंत्रता दिवस पर बोलने का मौका मिला है इसमें मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं. आज से ठीक 73 वर्ष पूर्व, हमे आजादी मिली थी. देश की आजादी के संघर्ष की गाथा बहुत बड़ी है और इसका वर्णन कुछ मिनटों में नहीं किया जा सकता है. हर भारतीय के लिए 15 अगस्त का दिन बेहद खास होता है. स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए जो योगदान दिया वो कभी भूलाया नहीं जा सकता. स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों के कारण ही आज हम आजाद हैं. स्वतंत्रता दिवस न केवल ब्रिटिश राज से भारत की आजादी को दर्शाता है, बल्कि यह इस देश की शक्ति को भी दिखाता है.
हमारे वीर योद्धाओं ने कई लड़ाइयां लड़ी और उसके बाद जाकर 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली. तब से लेकर आज तक, हम हर वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं. आज हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है. देश तेजी से तकनीक, शिक्षा, खेल, वित्त, और कई दूसरे क्षेत्रों में विकास कर रहा है जोकि बिना आजादी के संभव नहीं था. परमाणु ऊर्जा में समृद्ध देशों में एक भारत है. ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स जैसे खेलों में भारत सक्रिय रुप से भागीदार है. आज भारत का गौरव विश्व में और भी ऊंचा हो गया है. भारत में उद्योग बढ़ रहा है और दुनिया भर की कंपनी यहां निवेश कर रही हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी देश ने नई उचाइयों को छुआ हैं.
इस बार स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) और रक्षाबंधन का पर्व एक साथ मनाया जाना है। क्या आप जानते हैं कि इसी दिन संस्कृत दिवस भी मनाया जाएगा? ये कोई पहली बार नहीं है, संस्कृति दिवस हमेशा ही रक्षाबंधन के दिन ही मनाया जाता है। दरअसल भारतीय संस्कृति में इसका पौराणिक महत्व है। ये परंपरा हमारे ऋषि-मुनियों से जुड़ी होने की वजह से और खास बन जाती है। जानें- क्या है इन दोनों पर्व का महत्व?
संस्कृत दिवस, प्रतिवर्ष सावन की पूर्णिया के मौके पर मनाया जाता है। इसी दिन रक्षाबंधन भी मनाया जाता है। सावन की पूर्णिमा को ऋषियों के स्मरण ता पूजा और समर्पण का पर्व भी माना जाता है। बताया जाता है कि गुरुकुल में वेद पढ़ने वाले छात्रों को इसी दिन यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण कराया जाता है। जनेऊ धारण करने वाले लोग इसी दिन पुराने जनेऊ को भी बदलते हैं। इस संस्कार को उपनयन या उपाकर्म संस्काकर भी कहा जाता है। ऋषि और ब्राह्मण इसी दिन यजमानों को रक्षासूत्र बांधते थे। चूंकि ऋषि ही संस्कृत साहित्य के जनक और इसे आगे बढ़ाने वाले माने जाते इसलिए इस दिन को संस्कृत दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। संस्कृत भाषा के संरक्षण और इसे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1969 से इसकी शुरूआत की थी।
भारत के छात्र विश्वभर में देश का नाम रोशन कर रहे हैं. देश के वैज्ञानिकों की महनत के चलते आज हमने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. चंद्रयान 2 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. ऐसे में देश के हर नागरिक को देश की प्रगति को ध्यान में रखकर काम करते रहना चाहिए. क्योंकि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां भारत को अभी मजबूत होने की जरूरत है. आज हमारे देश की सरकार के पास रोजगार पैदा करने की चुनौती है. ऐसे में हमें एकजुट होकर देश की उन्नति के लिए काम करना चाहिए. मैं आपको अपने भाषण को सुनने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और इसी के साथ एक शायरी पढ़कर मैं अपनी वाणी को विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं.
तन हमारा मिसाल है मोहब्बत की,
तोड़ता है दीवारें नफरत की,
ये मेरी खुश नसीबी है जो मिली जिन्दगी इस चमन में…
और भुला न सके कोई भी इसकी खूशबु सातों जनम में…
जय हिन्द! वन्दे मातरम!