Hindi, asked by seemateach4, 9 months ago

anekta me ekta pr anuched lekhan

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Answered by pinky162
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Explanation:

भारत को सभी धर्मों एवं सम्प्रदायों की कर्मस्थली माना गया हैं, इसे विविधता ने एकता अथवा अनेकता में एकता की अवधारणा के प्रतीक के रूप में देखा जाता हैं. क्योंकि यहाँ रहने वाले लोगों का धर्म, भाषाएँ, वेशभूषा, खान-पान आदि अलग अलग होने के बावजूद राष्ट्रीयता का एक ही भाव सभी के दिलों में होता हैं.

सभी धर्मों के लोगों की अपनी अपनी मान्यताएं, विशवास तथा संस्कृति के उपरान्त के सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखते हैं. यही भारतीयता है जो हर नागरिक के रग रग में दौड़ती हैं. देश के नागरिकों के बीच हर तरह की विविधता के बाद भी एकता के मूत्र मन्त्र में राष्ट्र तथा राष्ट्रीयता के विषय पर सभी की राय एक ही होती हैं.

हम सभी की एक ही पहचान है वह है भारतीय. हम जिस भारत देश के निवासी हैं. वो किसी एक धर्म, सम्प्रदाय, पन्थ. भाषा का देश न होकर गंगा जमुना की तहजीब का प्राचीन भारत देश हैं. यहाँ दुनियां के सभी धर्मों को मानने वाले लोग बसते है भले ही सभी की मान्यताए तथा विशवास अलग हो मगर इन धर्मों में भी एक ईश्वर, उन्हें पाने की चाह तथा मानव मात्र के कल्याण की भावना हैं. इस लिहाज से भले ही हमारे रास्ते दिखने में अलग अलग हो मगर मंजिल एक ही है वह है भारत की भलाई.

कश्मीर, पंजाब, उड़ीसा, बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र तथा अरुणाचल जैसे २९ प्रान्तों से मिलकर भारत का निर्माण होता हैं. ये प्रान्त एक दूसरे से पूरी तरह भिन्न होने के बावजूद एक माला के सुनहरे मनकों के समान है जो एक दूसरे की पहचान का त्याग कर स्वयं को भारत रुपी माला के निर्माण में सर्वोच्च त्याग कर देते हैं.

देशभर में हजारों भाषाएँ तथा बोलियाँ हैं अलग अलग क्षेत्र की अपनी बोली है मगर राष्ट्रभाषा हिंदी को पूरे देश के लोग जानते हैं, यही देश की एक सम्पर्क भाषा है जो सभी को अनेकता में एकता के भाव से जोड़े रखती हैं.

जिस तरह भाषा,म बोली, धर्म में विविधता है उसी तरह भारत के लोगों में खानपान तथा पहनावे में भी विविधता पाई जाती हैं. इन सबके बावजूद हमारे उत्सव पर्व तथा त्यौहार एक से हैं उनकी मान्यताएं अलग अलग हो सकती हैं मगर मूल भाव एक ही हैं. परस्पर प्रेम और भाईचारे के साथ भारत माता के आँख के तारे ये सभी देशवासी तमाम भेद के बावजूद स्वयं को भारतीय कहने में गौरवान्वित महसूस करते हैं. जब बात भारत और इसकी अक्षुण्णता की आती हैं तो हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी भाई कंधे से कंधा मिलाकर बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं.

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