Angreji shasan ke dauran bhartiya vyapar ke patan ka kya Karan tha
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आधुनिक भारत का इतिहास हिन्दी देवनागरी में पढ़ें।
भारतीयान की फोट ताथा विघ्नहरि तात्वून के करण अथर्विन शताब्दी पुरुष भरत पार अंगरेजोन का प्रभुव जाम गया । भरत के इतिहास पुरुष लागभग पहली बार आइसा हुआ की, इसाके प्रशासन और भाग्य-निर्नायके की डोर एक ऐसी विदेशी जती के हथन मेन चाली जी, जसाकी मातृभूमि की हजारी मिल डोर अवाथित थी । क्या तराह की परधिनाटा भारत के झूठ एक सर्वथा नया अनुभव थी, क्यानकी इऑन को एटिट पुरुष भारत पार की अकरमन छटा, समे-सामे बराबर भारती प्रदेश के कुच भाग अस्थ्यी ताउर बराबर विजेतॉन के उपनिवेशोन पुरुष शमील हो गया, पार अये वा कामसर हाय ऐ, और अनकी अवधी भारत पार angrezon ne एक videshi की तराह शसन कियाया । ऐस काम हाय अंगरेज शासक छटा, जिनोन भारत को अपना देश समाजहा और कल्याणकारी भवन से उत्कर्ष होकर शासन किया । अनहोंने व्यापर और रजनीकांत के मध्य से भरत का अर्शिक शोशान किया और धन-निकस की नीति अपंकर देश को खोखला कर दला । अनहोंभारतीय के नायकी मनोबल पार सदाव अघाट किया । क्या है कल के इतिहास के पन्ने बल्ले को सिध कराटे है, एक या जहां ब्रिटिश सट्टा के भरत पुरुष sthapit हो जेन के बुरे देश पुरुष घोर andhakarapoorn और निरशनाचक वातारन sthapit हो गया, वाहिन doosari या देश को गुले की या धाकेल दीया गया ।[1]
भरत का पाटन
Blockquote-open.gif याह बैट शुरू पुरुष हाय सैफ हो जी थी की, साफाटा एंग्रेजोन के हथ लागेगी, और यूएसएके करण स्पैष्ट । वे राष्ट्रवाड पुरुष विश्वावास राखते, जबकी भारत पुरुष एन याह भावना थी, और एन हाय अनुष्का । युध-कौशल ताथा राणिती पुरुष अंगरेज भारतीयान की अपेशा काहिन उम्र । भारती सैनिक निश्थावन को, बराबर inhen भी apane राजा के प्राति पूर्ण eemanadar और वफादर नाहिन काहा जा सकता है । भारतीई इट्स मेन एन जेन किटेन हाय सहायॉन और विश्वास्पाटन ने अपाने हाय राजो को धोखा दीया और अनकी साथ विश्वाघाट कराके अननम के घाट उतार दीया । इनहिन सब डंडा से भारतीयान का आपानी भूमि पार हाय पाटन हुअा । Blockquote-close.gif
भरत के प्राति इंगलंद की अधिष्ठाता लिप्स की भावना बाहुत पहाड़े हाय उभराणे लागी थी, थाथा अंगरेज लॉग भरत को अपणे अधीकर की वास्तु और सब प्राकर से पाट देश मनाने लेज । भारत का उपयोग इंग्लेंड के झूठ करणा अनका प्रधान दरिशकिकोन बान गया था । अंगरेज प्रशासन, एन भारती जनता के प्राति साहानुगुटी राखता था और एन हाय भरतवासियॉन के कल्याण के प्राति सजग था । इंगलांड पुरुष जो क़ानून फिर नियाम भारत के सामबंद पुरुष बने जेन लेज, अनोके प्राति याह ब्रिटिश नीति बानी की, भरत के हितन का इंगलंद के झूठ साडिव बालीदान किया जना चैही । Angrezon की है नीति के करण भारत उत्तरोत्तर arthik drishti से निर्धन और संस्कृतिक drishti से हिन होटा चाला गया । भरत के पाटन के समबंद पुरुष की प्रसिद्धव्याक्तिन ने अपणे विचर राखे हेन, अनमेन से कुच है प्रक्कर से है-
केशव चंदर सेन के अनुसर-"अज हैम अपाने चारण या जो dekhate हेन, वाह है एक गिरा हुआ राष्ट्र । एक आइसा रश्तर, जिसकी प्राचिन महानात खंडाहरों पुरुष गादी रंगे पाई है । उसाका राष्ट्रसंभावी साहित्य और विज्ञान,उसाका अधम ज्ञान और दर्शन,उसाका उद्योग और वनीज़ी, उसाकी समाजिक समृद्धि और गरियाम सदगी और मधुरता ऐसी है, जिससाकी गंती लागाभाग एटिट किन वास्तु पुरुषों की जति है । जैब हैम अयात्मिक, समाजसेवी और बौद्दिक दरिशती से उजाडे रंग, शोकायुक्ट और उडासिन ड्रिशी, जो हमरे समेने फाइला हुअा है, का निरिशान कराटे हेन, हैम व्यार्थ हाय उसामेन कालीदास के देश-कविता, विज्ञान और सब्याटा के देश को पहाकेन का प्रैतन कराटे है ।
दाऊ. थियाडोर के अनुसर - "प्रधानतह अथिया लाह के झूठ ईस्ट इंडिया कामपानी ने ब्रिटिश राजी की स्थापानी की और उसाका विस्तार किया।
ताराचंदर के अनुसर - "सत्याविन शताब्दी पुरुष भारत का गौरव अपानी परकाश पर था, और उसाकी मदह्युजिन स्नक्रिटी अपानी चारम सिमा पार पहुंच जी थी । परंतु जायस-जैसे एक के बुरे एक शताब्दी बिटिन, वैसे-वैसे योरोपिय सब्याटा का सोरी टेज़ी से आकाश के माढ़ी की या बधाणे लागा और भारती गगन पुरुष और हक्केर चन्ने लागा । फलातकी जलदी ही देश पार अंधड़ा चौराहा गया, और नायकी पाटन ताथा रजनीकांत अराजकाकट की परछाइयां लांबी सान लागिन ।[1]
भारतीयान का विरोद
याह साही है की, प्रशासन इथन यात्यात ताथा शिक्षा के kshetr पुरुष भरतवसियॉन ne है विदेशी शासन से अनेक टाटव ग्रहण किया, किंटू है बैट से इंकार नाहिन किया जा साता की, angrezon ne adhikadhik arthoparjan करने की नीति का हाय अनुशिलन क्या । याही करण था की, जहां भारतीन ने मुसलामनॉन के शासन को स्वाकर कराके का उपयोग भारती शानान के इटिहास पुरुष शमील किया, वाहिन अनहोने अंगरेजन को अपना एसएनपीराभु नाहिन मन । हरदिन की गहरियां से अनोके शसन को स्वविकर नाहिन किया और प्रभ से हाय अनोके प्रिटी आना विरोड प्रकत किया । अंगरेज कभी भी भारती एन बान खातिर, सदाव विदेरे रहे और समे पेशे बराबर सब के सब स्ववेश चाले गायकी । याह विदेशी शासन भारतीयोन को क्यूटे स्वाकर नाहिन था । बंगल के ' सिराज ' के कल से लेकर दिल्ली के बहादुरशाह डीविटी के कल टाक भारती विरोद जरी राहा था ।