अऩने खून-ऩसीने से,
हाय गई दश्ुभन की गोरी
वज्र तम्ुहाये सीनों भें
जफ-जफ उठी तम्ुहायी नाॉहें, होता वश भें कार है।
जजस धयती के सरए सदा
तभु ने सफ कुछ कुफातन ककमा
शरू ी ऩय चढ़-चढ़ हॉस-हॉसकय
कारकूट का ऩान ककमा
जफ-तफ तभु ने कदभ फढ़ामा, हुई हदशाएॉरार हैं।
उस धयती को टुकड़-ेटुकड़े
कयना चाह यहे दश्ुभन
फड़ेगौय से अजफ तम्ुहायी
चुप्ऩी थाह यहे दश्ुभन
जातत-ऩाॊतत वगों-कपयकों के, वह पै राता जार है।
कुछ देशों की रोरऩु नजयें
रगी तम्ुहायी ओय हैं,
कुछ अऩने ही जमफदॊ ों के
भन भें फैठ चोय है।
सावधान कय दो उसको जो ऩहने कऩटी खार है।
(क)धयती को खून-ऩसीने से सीॊचने’ का असबप्राम है
(i)देश के खेतों को जर से सीॊचना
(ii)देश के सरए कहठन से कहठन ऩरयश्रभ कयना
(iii)देश की सयुऺा के सरए यात-हदन सावधान यहना
(iv)देश की यऺा-हेतुशरुऩय गोसरमाॉचराना
(ख)कारवशभेंहोसकताहैजफ
(i)दश्ुभन गोसरमाॉन चराए
(ii )हभ यऺा के सरए फाॉहें उठाएॉ
(iii)हभ हॉस-हॉसकय कुफातनी दें
(iv (जातत-ऩाॉतत का बेद न यहे
(ग)‘जातत-ऩाॉतत’ भें अरॊकाय है
(i) मभक
(ii) श्रेष
(iii) अनप्रु ास
(iv) उऩभा
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कारकूट का ऩान ककमा
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