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कितना तरह क तो होते है ये सपने। कुछ रुलाने वाले, तो कुछ हंसाने वाले और कुछ तो ऐसे भयानक कि
सोने में ही पसीना छुड़ा दें। मस्तिष्क की विदयुत तरंगों के अध्ययन के फलस्वरूप आज हम जान सके हैं कि
इनसान ही नहीं, लगभग सभी स्तनधारी जीव सपने देखते हैं । चिड़ियाँ भी थोड़े बहुत संपने देख ही लेती हैं।
लेकिन सरीसृप तथा इससे नीचे की श्रेणी के जीव-जंतु सपने नहीं देखते। सपने नौद में ही देखे जा सकते
हैं, जागृत अवस्था में नहीं। आखिर हम सपने क्यों देखते हैं? क्या इनका कुछ अर्थ भी होता है? क्या इनसे
हमारा अस्तित्व एवं भविष्य भी कुछ सीमा तक जुड़ा है? अनादि काल से ऐसे तमाम प्रश्नों के उत्तर पाने
के प्रयास किए जाते रहे हैं और अकसर इन सपनों को भविष्य की तरफ इशारा करने वाले साधन के रूप
में देखा गया है। कुछ लोगों ने अपने सपनों को आगे चलकर सच होते हुए भी देखा है। सामान्य अवस्था
में हम हर रात नींद के कम से कम दो घंटे सपने देखते हुए बिताते हैं। हम क्यों और कैसे सपने देखते हैं,
इस संबंध में वैज्ञानिकों को कुछ ज्यादा ज्ञान नहीं है। सपने अकसर कहानी या चलचित्र के रूप में होते हैं
इनमें पात्र भी होते हैं, चित्र भी होते हैं तथा आवाज भी होती है। सपनों में स्वप्न देखने वाला सदैव शामिल
रहता है। सपनों में हमारे साथ घटित नई बातें अकसर शामिल रहती हैं और कभी-कभी हमारे मन में गहरे
पैठी चिंताएँ तथा डर का भी समावेश होता है। स्वप्न देखते समय यदि आस-पास आवाज हो रही हो तो
अकसर ये आवाजें भी सपने का हिस्सा बन जाती हैं। सपनों को हम सामान्यत: नियंत्रित नहीं कर सकते।
प्रश्न 1, प्राचीन काल से लोगों ने सपनों के बारे में कौन-सी धारणा बना रखी है?
प्रश्न 2. 'सपनों को हम सामान्यतः नियंत्रित नहीं कर सकते। इस पंक्ति का क्या अर्थ है?
उत्तर-
प्रश्न 4, इस गद्यांश को उपयुक्त शीर्थक दीजिए।
उत्तर-
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