Ankho Ka Tara Shirshak se kahani banaiye.plz
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आख का तारा हाने की कहानी
एक समय की बात है रामेश नाम का एक लडका एक गाव मे रहा करता था । उसके पिता बहुत गरीब थे । रमेश गाव के लोगो को अपने घर का सदश्य माना करता था । उसका गाव
बहुत ही पिछडा हुआ था। उसके गाव मे सभी लोग शहर जाने के लिए भी अपने पैरो का सहार लिया करते थे ।
यहा तक की पीने के पानी की भी बहुत समस्या थी । अगर वे अपनी इस समस्या के समाधान के लिए सरकार से मदद मागते तो वे कह देते की हा आपका काम हो जाएगा । पर मदद करने का ढोग करते थे । वह काम कभी भी नही हुआ था ।
यहा तक की अगर बच्चे पढ़ाई करने के लिए भी जाया करते थे तो दुसरे गाव मे जाना पडता था । कच्चा रास्ता था इस कारण वहा से कोई भी साधन नही जाते थे । बच्चे पढ़ाई करने के लिए पेदल ही जाया करते थे । वहा से जाने के बाद बच्चे पढ़ाई करकर अपने घर आते थे तो 2 घंटे लग जाया करते थे । रमेश ने भी इन प्रस्थितीयो मे गुजर कर पढ़ाई करनी पडी ।
रमेश चाहता था की जिन प्रस्थितियो मै व मेरे गाव के लोगो गुजर रहे है उनसे आने वाली पढी न गुजारे । रास्ते पक्के बन जाए वहा पर वाहन चलने लग जाए ताकी बच्चो को भी पढ़ाई करने मे तकलीफ न हो और जो भी बच्चे पडते नही है ।
वे
भी पढ़ाई करने लग जाए । ऐसा सोचकर रमेश नोकरी की तैयारी कर रहा था । लोग उसे कहते थे की बेटे पढ कर क्या कर लोगे अपने गाव मे ही कुछ काम कर लो । पर रमेश ने किसी की भी बात नही मानी वह तो बस नोकरी के लिए तैयारी करता रहा ।
उसका पिता भी यह करने लग गया था कि बेटे अब तुम कुछ काम कर लो वरना हमारा जीवन नही गुजरेगा । हम गरीब है हमारे पास ऐसा कुछ भी नही है की हम आराम से बेठ कर खा सके । अपने पिता की बात सुनकर वह दिन मे काम करने लगा था ।
रमेश ने यह तो ठान लिया था की बस इस गाव को तो बदलना ही है । इसलिए वह दिन मे काम करता और रात को पढ़ाई करता । रमेश ने अपने पिता की बात तो मान ली थी पर पढ़ाई को नही छोड पा रहा था । कुछ समय के बाद मे उसकी नोकरी का पेपर देने का समय आया ।
रमेश नोकरी का पेपर देने के लिए चला गया । किसी को भी नही पता था की रमेश कहा पर है । जब वह पेपर देकर अपने घर आया तो उसके पिता ने पुछा की कहा गए थे । रमेश ने पिता से कहा की आज मुझे कोई काम नही मिला इस कारण मै अपने दोस्त के गाव गया था ।
रमेश ने अपने पिता से झुठ बोला था । कुछ दिन बाद मे गाव मे एक पत्र आया जो रमेश का था वह पत्र उसका जोयनीग लेटर था वह नोकरी लग गया । जब गाव के लोगो को पता चला की रमेश नोकरी लग गया है तो किसी को विश्वास नही हुआ ।
साथ ही गाव के लोगो को पता चला की रमेश की नोकरी पंचायत समिती मे लगी है । इस बाद की पुरी जानकारी के लिए गाव के लोग उसके पिता से पुछते है । उसके पिता ने कहा की वह और नोकरी लग गया है वह तो कभी पेपर देने भी नही गया ।
रमेश को जब पता चला की वह नोकरी लग गया है तो वह बहुत खुश हो गया । उसके पिता ने जब पुछा की तुम पेपर कब देकर आये थे तो रमेश ने पुरी बात बता दी । नोकरी लग कर रमेश को एक माह ही हुआ था की उसने अपने गाव में पानी के लिए कुवा खुदवा दिया जिसके लिए गाव के लोग रोज चक्कर काट रहे थे ।
बच्चो के लिए गाव में विधलय बनवा दिया । साथ ही गाव मे रोड बना दि थी यह सब काम उसने सरकारी सहायता से किया । इन सब काम को देख कर रमेश का गाव मे बहुत सम्मान हुआ । साथ ही उसका पिता भी बहुत खुश था की उसके बेटे ने ऐसा कर दिया है जो कोई भी नही कर रहा था ।
आख का तारा हाने की कहानी
इस तरह के काम करने के कारण सभी गाव के लोग बहुत खुश हो गए और सभी उसका धन्यवाद करने लगे थे । साथ ही उसके पिता को भी धन्यवाद किया की उसके बेटे ने ऐसा कर दिया है ।
इस तरह के कार्य करने से रमेश अपने पिता का ही नही बल्की अपने गाव के लोगो की आँखों का तारा बन गया गया । इस कहानी के द्वारा समझ सकते है की आँखों का तारा होना किसे कहते है ।