ANNA
निम्नलिखित परिच्छ्ष पदकर ऐसे चार प्रश्न तेवर
कीलिए,जिनके उत्तर परिच्छेद ले एक एक कवच
भरत के चरित्र को तुलसीदास बाहर से नहीं, भीतर से
संवारते हैं, उसे बड़ी सहजता और स्वाभाविकता से उभारते हैं।
जैसे राम का नामस्मरण-सुखदायी है, उसी तरह भरत का नाम
पवित्र बनानेवाला है । इसका कारण साफ है, भरत राम को प्राणों
से भी प्रिय है । जिसे राम प्रिय हो वह महान बन जाता है, किंतु जो
राम को प्रिय हो उसकी महानता का कहना ही क्या ? भरत में
दोनों गुण घुले-मिले हैं। राम तो उन्हें प्रेम करते ही हैं। जो राम को
प्रिय हे या जिसे राम प्रिय हो, उस पर कोई आक्षेप लगाना या
उसके बारे में कुछ अनुचित बोलना राम का अपमान होगा। इससे
सत्कर्म तो नष्ट होंगे ही, पाप भी बढ़ेगा । धर्म का मूलाधार यह है
कि जब भक्त प्रभुमय हो जाता है तब उसके संपूर्ण चरित्र में प्रभुता
प्रकाशित हो उठती है।
Answers
Answered by
0
Answer:
chetta two tea 2 for u
Explanation:
u wanta tea or coffee
Answered by
0
Explanation:
1 : राम कीन्हे प्रेम करते है ?
2 :धर्म का मूलाधार क्या है ?
3 : तुलसीदास भारत के बारेमे क्या कहते है ?
4 : किसका नाम स्मरण सुखदाई है ?
Similar questions