Hindi, asked by Knhf4079, 1 year ago

anne frank diary in hindi

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Answered by praveen00
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what is mean by anne frank

mention clearly

I hope you understand
Answered by kirtisingh01
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अने फ्रांक की डायरी शताब्दी की महानतम किताबों में एक है।...अपने आपको और अपनी परिस्थितियों को उसने इन पन्नों पर इतने जीवंत रूप में अंकित किया कि इतिहास भी उसके सामने हार गया। हम बार-बार उसकी तरफ वापस आते हैं और विश्वास नहीं कर पाते कि यह सब बेल्जन के रास्ते में लिखा गया है...यदि आपने कभी अने फ्रांक की डायरी को नहीं पढ़ा है, या कई वर्षों से नहीं पढ़ा है, तो यह संस्करण खरीदिए।’’

अने फ्रांक ने 12 जून 1942 से 1 अगस्त 1944 के दौरान एक डायरी लिखी। आरम्भ में, उसने नितान्त अपने लिए रखा। लेकिन 1944 में एक दिन, निर्वासित डच सरकार के एक प्रतिनिधि गेरिट बोल्कश्टाइन ने लन्दन से एक रेडियो प्रसारण में घोषणा की कि उन्हें उम्मीद है कि युद्ध के बाद वे जर्मन कब्जे के दौरान डच लोगों की पीड़ा के आँखों देखे विवरण जुटा सकेंगे जिन्हें सार्वजनिक भी किया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर उन्होंने पत्रों और डायरियों का विशेष रूप से उल्लेख लिया।

इसी भाषण से प्रभावित होकर अने फ्रांक ने निश्चय किया कि युद्ध समाप्त होने पर, वह अपनी डायरी पर आधारित एक पुस्तक प्रकाशित करेगी। सो, वह अपनी डायरी के पुनर्लेखन और संपादन में जुट गई, पाठ को बेहतर बनाने लगी, जो हिस्से उसे पर्याप्त रुचिकर नहीं लगे उन्हें हटाकर अपनी स्मृति से अन्य हिस्से जोड़ने लगी। इसके साथ-साथ उसने अपनी मूल डायरी को लिखना भी जारी रखा। विद्वत्तापूर्ण कृति ‘द डायरी ऑफ अने फ्रांक : द क्रिटिकल एडिशन’ (1989), में अने की पहली असम्पादित डायरी को ‘संस्करण ए’ के रूप में बताया गया है, ताकि दूसरी यानी सम्पादित डायरी से उसको अलग दिखाया जा सके, जिसे ‘संस्करण बी’ के रूप में उद्धत किया गया है।

अने की डायरी में अन्तिम प्रविष्टि 1 अगस्त 1944 की दर्ज है। 4 अगस्त 1944 को, उस गुप्त आवास में रहनेवाले आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। मीप गीस और बेप फोस्क्यूल दो सचिव थे, जो उस भवन में काम कर रहे थे, उनको अने की डायरियाँ फर्श पर बिखरी-फैली मिलीं। मीप गैस ने सुरक्षा के खयाल से उनको उठाकर मेज की दराज में रख दिया। लड़ाई यानी द्वितीय महायुद्ध के बाद जब यह बात साफ हो गई कि अने इस दुनिया में नहीं रही, तो उसने उन डायरियों को बिना पढ़े ही अने के पिता ओटो फ्रांक को सौंप दिया।

काफी सोच-विचार करके ओटो फ्रांक ने अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने और उस डायरी को प्रकाशित करने का निर्णय लिया। उन्होंने संस्करण ‘ए’ और ‘बी’ से सामग्री चुनी और उसका एक और संक्षिप्त संस्करण सम्पादित करके तैयार किया, जिसे संस्करण ‘सी’ के तैयर पर उद्धत किया गया। संसार-भर के पाठक इसी को एक किशोरी की डायरी के रूप में जानते हैं।

चुनाव करते समय ओटो फ्रांक को कई बातों का खयाल रखना पड़ा। सबसे पहले, पुस्तक के आकार-प्रकार को छोटा रखना जरूरी था, ताकि वह डच प्रकाशक की श्रृंखला के अन्तर्गत आ सके। इसके अलावा, कई ऐसे अनुच्छेदों को, जिनका संबंध अने की यौनिकता से था, हटा दिया गया। 1947 में, जिस समय इस डायरी का पहली बार प्रकाशन हुआ,यौन-भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने का चलन नहीं था, उन किताबों में तो बिल्कुल नहीं, जो नौजवानों के लिए हों। मृतक के सम्मान में, ओटो फ्रांक ने कुछ ऐसे अनुच्छेदों को भी हटा दिया, जिनमें उसकी पत्नी तथा उस गुप्त उपखंड के अन्य निवासियों के बारे में ‘खरी’ बातें लिखी गई थीं। अने फ्रांक ने जब डायरी लिखना आरम्भ किया, उस समय उसकी उम्र 13 वर्ष और जब उसे यह डायरी छोड़नी पड़ी उस समय 15 वर्ष थी, तो भी अपनी पसन्द और नापसन्द के बारे में उसने बेहिचक लिखा।


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